सेंट्रल डेस्क। आरबीआई ने अपनी बैठक के दौरान कई बड़े फैसले लिए हैं. भारतीय रिजर्व बैंक ने घर बनाने के लिए शहरी को-ऑपरेटिव बैंक से लोन देने की लिमिट हो बढ़ा दी है. अब को-ऑपरेटिव बैंक 1.40 करोड़ तक लोन दे सकते हैं. गौरतलब है कि इससे पहले 2011 में को-ऑपरेटिव बैंकों के लिए लोन लिमिट को लेकर संशोधन किया गया था. आरबीआई ने खास ग्राहकों को डोरस्टेप यानी घर तक सुविधा देने की बात भी कही है. इसके अलावा भी आरबीआई ने कई बड़े ऐलान किए हैं.
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति समीक्षा जारी करते हुए बताया है कि शहरी को-ऑपरेटिव बैंक (UCB) अब 1.40 करोड़ रुपये तक का होम लोन दे सकेंगे, अबतक यह सीमा 70 लाख रुपये थी. इसके अलावा ग्रामीण को-ऑपरेटिव बैंक से 75 लाख रुपये तक का कर्ज लिया जा सकेगा, जो अबतक 30 लाख रुपये था.
शहरी क्षेत्र में दो कैटेगरी
शहरी क्षेत्र को दो कैटेगरी टियर 1 और टियर 2 में रखा गया है. इसके तहत कर्ज की सीमा उनके कैटेगरी पर डिपेंड करेगी.
ग्रामीण को-ऑपरेटिव बैंक के नियम
-ग्रामीण को-ऑपरेटिव बैंक (राज्य सहकारी बैंक और जिला केंद्रीय सहकारी बैंक) और उनका नेटवर्थ अधिकतम स्वीकार्य पर कर्ज की सीमा तय होगी. नए नियम के तहत जिन बैंकों का नेटवर्थ 100 करोड़ रुपये तक है, वे प्रत्येक व्यक्ति को 50 लाख रुपये तक का कर्ज दे सकते हैं, जबकि पहले यह सीमा बस 20 लाख रुपये थी. बाकी के बैंक 75 लाख रुपये तक का कर्ज दे सकते हैं.
- इसके अलावा, ग्रामीण को-ऑपरेटिव बैंक को अब रिहायशी परियोजनाओं से जुड़े बिल्डरों को भी कर्ज देने की इजाजत होगी, जिसकी अबतक मंजूरी नहीं थी.
- इतना ही नहीं, आरबीआई ने बुजुर्गों और दिव्यांगों की मदद के लिये शहरी को-ऑपरेटिव बैंक को अनुसूचित बैंकों की तरह अपने ग्राहकों को घर तक यानी डोर स्टेप की सुविधा देने की बात कही है.