जश्न-ए-जम्हूरियत: लोकतंत्र और हिंदुस्तानियत का उत्सव: इंद्रेश कुमार

दिल्ली
  1. मतदान की ताकत सर्वशक्तिमान: दिल्ली प्रांत संघचालक
  2. भारत अल्पसंख्यकों के लिए स्वर्ग: इकबाल सिंह लालपुरा
  3. शिक्षा और जागरूकता वक्त की जरूरत: शाहिद अख्तर
  4. रिस्पेक्ट टू इस्लाम एंड गिफ्ट फॉर मुस्लिम पुस्तक के हिन्दी एडिशन का विमोचन

नई दिल्ली, डेस्क। दिल्ली के ऐवान-ए-गालिब ऑडिटोरियम में मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (MRM) के तत्वावधान में आयोजित “जश्न-ए-जम्हूरियत” कार्यक्रम ने गणतंत्र दिवस के अवसर पर लोकतंत्र, सांप्रदायिक सौहार्द और भारतीयता के मूल्यों को एक नई ऊंचाई दी। यह कार्यक्रम केवल उत्सव नहीं, बल्कि एक विचार मंच बना, जिसमें भारत की लोकतांत्रिक परंपरा, सांस्कृतिक विविधता और एकता की अनूठी शक्ति पर चर्चा हुई।

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कार्यक्रम में मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के मार्गदर्शक इंद्रेश कुमार, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष इकबाल सिंह लालपुरा, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थान आयोग (NCMEI) के कार्यकारी अध्यक्ष शाहिद अख्तर और दिल्ली प्रांत संघचालक अनिल गुप्ता ने अपनी उपस्थिति से इसे गौरवान्वित किया। वक्ताओं ने मतदान की शक्ति, भारत के अल्पसंख्यकों की समृद्ध स्थिति और शिक्षा एवं जागरूकता की आवश्यकता पर जोर दिया।

इस अवसर पर गणतंत्र के महत्व, लोकतांत्रिक अधिकारों और कर्तव्यों को न केवल समझाने का प्रयास हुआ, बल्कि यह संदेश भी दिया गया कि हिंदुस्तानियत की भावना ही हमारे देश की असली पहचान है।

इंद्रेश कुमार का प्रेरणादायक संबोधन

मंच के मार्गदर्शक और आरएसएस राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य इंद्रेश कुमार ने अपने उद्बोधन में कहा, “दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र भारत आज अपने गणतंत्र दिवस का उत्सव मना रहा है। यह केवल एक दिन नहीं, बल्कि हमारे संवैधानिक मूल्यों और सांस्कृतिक धरोहर का उत्सव है। कुरान कहता है कि हब्बुल वतनी यानी देशभक्ति आधा ईमान है, और रामायण हमें सिखाती है कि जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से महान हैं। दोनों ही संदेश एक जैसे हैं, जो हमें अपने देश से प्रेम और उसकी सेवा के लिए प्रेरित करते हैं।” उन्होंने आगे कहा, “हमें यह समझना होगा कि धर्म का अर्थ केवल प्रार्थना और पूजा तक सीमित नहीं है। हर धर्म हमें सेवा, सम्मान और सत्य का मार्ग दिखाता है।

उन्होंने कहा, “मैंने शुरुआत में सिर्फ 10-15 लोगों पर भरोसा किया था, लेकिन इन 10-15 लोगों ने औरों को जोड़ते हुए मंच को इतना बड़ा बना दिया कि आज मुस्लिम राष्ट्रीय मंच एक विशाल संगठन बन चुका है। इस बार हम कुंभ मेले में बौद्ध धर्मावलंबियों को लेकर जा रहे हैं। इसके साथ ही, कई मुसलमान भी हमारे साथ जुड़ने की इच्छा व्यक्त कर चुके हैं।”

दिल्ली प्रांत संघचालक ने समझाया मतदान की ताकत

दिल्ली प्रांत संघचालक अनिल गुप्ता ने कहा, “वोट देना केवल एक औपचारिकता नहीं है, बल्कि यह हमारे और हमारी आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को तय करने का सबसे महत्वपूर्ण माध्यम है। आज दिल्ली जिस प्रदूषण, भ्रष्टाचार और शिक्षा व्यवस्था की दुर्दशा से जूझ रही है, वह पिछले दस वर्षों की गलत प्राथमिकताओं और लापरवाह नीतियों का परिणाम है। ऐसे में हर मतदाता की जिम्मेदारी बनती है कि वह अपने मत का सही उपयोग करे और ऐसा नेतृत्व चुने जो स्वच्छ हवा, स्वच्छ पानी और बेहतर शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाओं को प्राथमिकता दे।

यह देश हिंदी और उर्दू, दोनों भाषाओं और संस्कृतियों का साझा घर है, जिसकी जड़ों को कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकता। दुर्भाग्य से हमारे पिछले हजार वर्षों का इतिहास कटुता और संघर्षों से भरा रहा है, लेकिन अब समय आ गया है कि हम इन कड़वाहटों को पीछे छोड़कर एकता और प्रगति के रास्ते पर चलें। मतदान केवल एक मोहर लगाने का कार्य नहीं है, बल्कि यह एक संकल्प है कि हम एक मजबूत, समृद्ध और न्यायपूर्ण समाज के निर्माण में अपना योगदान देंगे।

हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि हमारी आज की कार्रवाई पर आने वाली पीढ़ियां हमें सवालों के कटघरे में खड़ा कर सकती हैं। इसलिए हमें अपने मताधिकार का उपयोग विवेकपूर्ण और जिम्मेदारी के साथ करना चाहिए।”

भारत अल्पसंख्यकों के लिए स्वर्ग: राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अध्यक्ष

राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष इक़बाल सिंह लालपुरा ने अपने विचार साझा करते हुए कहा, “भारत में अल्पसंख्यकों को बराबरी का अधिकार मिला है। यह देश हमेशा से सबका सम्मान करता आया है। संविधान ने हमें अधिकार और कर्तव्य दोनों दिए हैं। यह अल्पसंख्यकों के लिए स्वर्ग है, जहां हमें प्रधानमंत्री बनने, मुख्य न्यायाधीश बनने और हर क्षेत्र में अवसर मिले हैं। हमारे पूर्वजों ने अपनी मर्जी से धर्म अपनाया, लेकिन हमारी संस्कृति और परंपराएं समान हैं। हमें इस एकता को बनाए रखना है और भारत को विकसित देश बनाना है।”

शाहिद अख्तर का शिक्षा और जागरूकता पर जोर

शाहिद अख्तर ने कहा, “मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने हमेशा लोकतंत्र, शिक्षा और देशहित को प्राथमिकता दी है। यह मंच हमें ‘वसुधैव कुटुंबकम’ और भारतीय तहज़ीब की सच्ची शिक्षा देता है, जो पूरे विश्व को एक परिवार के रूप में देखने की प्रेरणा देता है। आज का मतदाता ही कल के भारत का भविष्य तय करेगा।

इसलिए हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हर नागरिक अपने मताधिकार का सही और जागरूक उपयोग करे। हमें अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक की संकीर्ण सोच से ऊपर उठकर केवल एक ‘हिंदुस्तानी’ बनने की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए।

हमारे लिए यह जरूरी है कि हम जाति, धर्म और संप्रदाय के भेदभाव को पीछे छोड़कर एक विकसित और सशक्त भारत के निर्माण में अपना योगदान दें। आज का वक्त इस बात की मांग करता है कि हम केवल अपने अधिकारों की बात न करें, बल्कि अपने कर्तव्यों को भी प्राथमिकता दें।”

पुस्तक विमोचन: विचारों को नई दिशा देने का प्रयास

कार्यक्रम में “वक्फ बिल 2024: रिस्पेक्ट टू इस्लाम एंड गिफ्ट फॉर मुस्लिम” किताब के हिंदी अनुवाद का भव्य विमोचन किया गया। यह पुस्तक वक्फ संपत्तियों के प्रभावी प्रबंधन और उनके सामाजिक उपयोग की दृष्टि से एक अहम दस्तावेज साबित हो सकती है। इसे प्रो. (डॉ.) शाहिद अख्तर, डॉ. शालिनी अली, शिराज कुरैशी अधिवक्ता और वरिष्ठ पत्रकार व सामाजिक कार्यकर्ता शाहिद सईद ने संयुक्त रूप से लिखा है।

विमोचन के दौरान वक्ताओं ने पुस्तक को एक ऐतिहासिक कदम बताते हुए कहा कि यह न केवल मुस्लिम समाज के सशक्तिकरण में मददगार होगी, बल्कि वक्फ संपत्तियों को समाज कल्याण का आधार बनाने के लिए भी प्रेरित करेगी। यह किताब विचारों को नई दिशा देने और वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सुधार के लिए मील का पत्थर साबित हो सकती है।

संवाद और सहमति का महत्व:

कार्यक्रम मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के दिल्ली प्रांत ने आयोजित किया था जिसमें दिल्ली के संयोजक हाफिज साबरीन, मदरसा एवं युवा प्रकोष्ठ के संयोजक इमरान चौधरी, गौ सेवा एवं पर्यावरण प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय संयोजक फैज खान, महिला विंग से जुड़ी डॉ. शाइस्ता और शबाना शेख के अलावा दिल्ली के कार्यकर्ता बड़ी तादाद में मौजूद रहे। इस दौरान वक्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि भारत के सामने जो भी चुनौतियां खड़ी हैं, उनका समाधान केवल संवाद, सहमति और समावेशी दृष्टिकोण से ही संभव है।

उन्होंने कहा कि देश की असली ताकत उसकी सांप्रदायिक सौहार्द, लोकतांत्रिक मूल्यों और ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के सिद्धांत में निहित है, जो पूरे विश्व को एक परिवार मानने की भावना को मजबूत करता है। इस कार्यक्रम ने न केवल भारत के गणतंत्र की महानता को रेखांकित किया, बल्कि सांस्कृतिक विविधता और आपसी सम्मान का भी संदेश दिया। जश्न-ए-जम्हूरियत के मंच ने यह साबित किया कि विविधता में एकता ही भारत की आत्मा है और इसे सहेजना हम सभी का कर्तव्य है।

वक्ताओं ने यह भी कहा कि ऐसे आयोजनों के माध्यम से न केवल भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों को सशक्त किया जा सकता है, बल्कि लोगों के बीच प्रेम, भाईचारे और सहिष्णुता की भावना को भी बढ़ावा दिया जा सकता है। यह कार्यक्रम सांप्रदायिक सौहार्द का ऐसा प्रेरणादायक उदाहरण बना, जिसने यह संदेश दिया कि भारत की विविधता उसकी शक्ति है और यही हमारे देश को पूरी दुनिया में अलग पहचान दिलाती है। ऐसे आयोजनों के माध्यम से गणतंत्र के महत्व और भारतीय संस्कृति की गहराई को न केवल देशवासियों, बल्कि पूरी दुनिया तक पहुंचाने का एक मजबूत प्रयास किया गया।