अशोक “अश्क” महाराष्ट्र के ठाणे जिले के भिवंडी शहर में रविवार को गणतंत्र दिवस के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने राष्ट्रीय ध्वज फहराने के बाद अपने संबोधन में देशवासियों को सामंजस्य और सौहार्द बनाए रखने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि विविधता भारतीय समाज का स्वाभाविक हिस्सा है और इसका सम्मान करना हर नागरिक का कर्तव्य है।

भागवत ने कहा, गणतंत्र दिवस न केवल उत्सव मनाने का अवसर है, बल्कि यह राष्ट्र के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को याद करने का भी समय है। विविधता के कारण कई देशों में संघर्ष देखने को मिलता है, लेकिन भारत में इसे जीवन का हिस्सा माना जाता है। यहां मतभेदों का सम्मान किया जाना चाहिए और सभी को साथ लेकर चलने की भावना विकसित करनी चाहिए।



अपने संबोधन में आरएसएस प्रमुख ने व्यक्ति और राष्ट्र के विकास में समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व की अहमियत पर जोर दिया। उन्होंने कहा, प्रत्येक व्यक्ति को व्यक्तित्व के सम्मान और दमन से मुक्ति के साथ आगे बढ़ने का अवसर मिलना चाहिए। किसी का भी दमन नहीं होना चाहिए। जब व्यक्ति स्वतंत्रता और समानता के साथ आगे बढ़ते हैं तो बंधुत्व का माहौल बनता है और समाज की सफलता का मार्ग प्रशस्त होता है।
भागवत ने यह भी कहा कि यदि परिवार के सदस्य या समाज का कोई हिस्सा संकट में है, तो पूरा परिवार या समुदाय खुश नहीं रह सकता। इसीलिए एकता और सौहार्द्र बनाए रखना बेहद जरूरी है। आरएसएस प्रमुख ने विशेष रूप से युवा पीढ़ी को संबोधित करते हुए कहा कि उन्हें अपनी उपलब्धियों को केवल व्यक्तिगत लाभ तक सीमित न रखते हुए देश की बेहतरी के लिए उपयोग करना चाहिए।
उन्होंने कहा, हम चाहते हैं कि हर व्यक्ति आगे बढ़े, लेकिन यह तभी संभव है जब सबको स्वतंत्रता और समानता का अवसर मिले। युवाओं को समाज में सामंजस्य और एकता बनाए रखते हुए अपने कौशल का उपयोग करना चाहिए। भागवत ने इस दौरान स्पष्ट किया कि संघ समाज के सभी अच्छे कामों का समर्थन करता है, चाहे वह किसी भी पृष्ठभूमि से क्यों न हो।
उन्होंने कहा, हम व्यक्ति की जाति, धर्म, या रंग नहीं देखते, बल्कि उसके अच्छे कामों का समर्थन करते हैं। आरएसएस प्रमुख ने कहा कि भारत की प्रगति उन समर्पित व्यक्तियों के प्रयासों का परिणाम है जिन्होंने आर्थिक विकास और राष्ट्रीय रक्षा जैसे क्षेत्रों में देश को आगे बढ़ाने के लिए अपना योगदान दिया है।
हालांकि, उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि अभी भी बहुत कुछ किए जाने की आवश्यकता है। भागवत ने कहा, भारत को अपने सपनों का देश बनाना हम सबकी जिम्मेदारी है। देश को आगे ले जाने के लिए हमें एकजुट होकर काम करना होगा। सभी को यह समझना होगा कि सामूहिक प्रयास से ही विकास और सफलता प्राप्त की जा सकती है।
विविधता पर बात करते हुए भागवत ने कहा कि समाज में मतभेदों का सम्मान किया जाना चाहिए और सौहार्द्र बनाए रखने के लिए सामंजस्य बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा, यदि आप जीना चाहते हैं तो आपको एकजुटता के साथ जीना चाहिए। इसी से समाज में शांति और प्रगति का माहौल बन सकेगा। अपने संबोधन के अंत में भागवत ने समाज को सकारात्मक दिशा में ले जाने की बात दोहराई।
उन्होंने कहा कि विविधता का सम्मान, समानता का पालन, और स्वतंत्रता के साथ बंधुत्व को बढ़ावा देना ही एक मजबूत और विकसित भारत की नींव है। भागवत का यह संदेश गणतंत्र दिवस के मौके पर राष्ट्रीय जिम्मेदारियों की याद दिलाने के साथ-साथ समाज को एकजुट और प्रगतिशील बनाए रखने की दिशा में प्रेरणा देने वाला रहा।