एक महीने की जंग के बाद भी यूक्रेन पर कब्ज़ा नहीं कर सका रूस, इन कारणों से फंसे दिख रहे पुतिन

दिल्ली

सेंट्रल डेस्क/दिल्ली। ये जंग इतनी लंबी खींचेगी, इसकी किसी को उम्मीद नहीं थी। 24 फरवरी से शुरू हुई रूस और यूक्रेन की जंग को करीब एक महीना हो चुका है। अमेरिकी एक्सपर्ट का मानना है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी यही मानकर चल रहे थे कि जंग कुछ ही दिनों में खत्म हो जाएगी।

इसकी एक सबसे बड़ी वजह ये थी कि रूस के पास करीब 10 लाख जवानों की सेना है तो वहीं यूक्रेन के पास महज दो लाख जवानों की। लेकिन जिस जंग के कुछ ही दिनों में खत्म होने की उम्मीद थी, वो जंग आखिर इतनी लंबी कैसे खींच गई? जानते हैं उन 5 कारणों के बारे में, जिस वजह से रूस और यूक्रेन की जंग दिन से हफ्तों और हफ्तों से महीने में बदल गई।

जल्दी जीत हासिल करने की भूल : रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने जब 24 फरवरी को यूक्रेन के खिलाफ जंग का ऐलान किया था, तब उन्होंने कहा था कि वो डिमिलटराइज करना चाहते हैं। रूस ने शुरुआत में यूक्रेन के आसपास 1.5 से 2 लाख सैनिक तैनात किए थे, जो इस ओर इशारा करता है रूस इस जंग को ज्यादा दिन तक खींचने के मूड में नहीं था। पुतिन को लगता था कि यूक्रेन की सेना जल्दी घुटने टेक देगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसके साथ ही रूस के सैनिकों की ट्रेनिंग पर भी सवाल उठने लगे हैं।

अमेरिका-NATO का यूक्रेन को समर्थन : इस जंग में अमेरिका और NATO यूक्रेन के साथ खड़े हुए हैं, जिस वजह से भी ये जंग लंबी खींच रही है।
यूक्रेन के खिलाफ दुनिया एकजुट : यूक्रेन पर हमला कर रूस के खिलाफ जिस तरह से दुनिया एकजुट हो गई है, उसकी उम्मीद किसी को नहीं थी। रूसी बैंकों को अंतरराष्ट्रीय पेमेंट सिस्टम SWIFT से बाहर बाहर निकालना बड़ा झटका था। जेलेंस्की का जज्बा : शुरू में माना जा रहा था कि रूस की सेना के सामने यूक्रेन की सेना ज्यादा देर नहीं टिकेगी और यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की रूस की सारी शर्तें मानने को तैयार हो जाएंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। जेलेंस्की ने सरेंडर करने से मना कर दिया।

यूक्रेनी सेना का जवाब : रूस के खिलाफ जंग में यूक्रेन की सेना ने जो रणनीति अपनाई है, वो अभी तक सही साबित हुई है। यूक्रेन की सेना लगातार रूस की सेना और उनके हथियारों को टारगेट कर रही है। इस जंग में यूक्रेन की सेना के लिए जो प्लस प्वाइंट साबित हुआ है, वो ये कि 2014 से यूक्रेनी सेना डोनबास में रूसी समर्थित अलगाववादियों से लड़ रही है, लिहाजा उसे रूस की रणनीति के बारे में पहले से अंदाजा था।

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