श्रृद्धांजलि : अपने प्यार का राज छिपाए चली गईं लता दीदी

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सेंट्रल डेस्क। लता दीदी हमारे बीच नहीं रहीं। झूठ लगती है ये खबर। लता मंगेश्कर जैसी शख्सीयत कभी मर ही नहीं सकती। जब तक सृष्टि है, लता जी स्वर जीवन में मिठास घोलते रहेंगे। उनकी गीत फिजां गूंजते रहेंगे। स्वर कोकिला लता दीदी को 51 साल में 75 से ज्यादा अवॉर्ड मिले। उन्हें महज 30 साल की उम्र में पहला अवॉर्ड मिला था। साल 2001 में उन्हें केंद्र सरकार ने भारत रत्न से नवाजा था।

आखिरी बार उन्हें 2 साल पहले टीआरए की मोस्ट डिजायर्ड अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। लेकिन एक सवाल जो हमेशा लोगों के जेहन में आता रहा है और उसका प्रामाणिक जवाब न तो लता दीदी से मिल पाया और न ही उनसे जिनके बारे में कहा जाता था कि वो लता दीदी से टूटकर प्यार करते थे। नाम था क्रिकेट की दुनिया का जाना माना नाम राज सिंह डूंगरपुर। लता दीदी ने विवाह नहीं किया।

परिवार की जिम्मेदारी ताजिंदगी निभाती रहीं। अपने लिए वह कभी भी नहीं जिंदा रहीं। विवाह न करने के पीछे एक कारण परिवार भी था। बल्कि कहिए परिवार ही था। कहा जाता है कि राज उन्हें मिट्ठू कहा करते थे।एक रिपोर्ट के अनुसार लता दीदी के विवाह न करने पीछे दो कारण बताए जाते हैं। एक तो कम उम्र में पारिवारिक जिम्मेदारी। उन्हें अपने भाई बहनों मीना आशा उषा और हृदयनाथ मंगेश्कर की देखभाल की थी।

उनकी शिक्षा भविष्य सारी चिंता लता जी किया करती थी। इसके साथ ही लता मंगेशकर के साथ राज सिंह के रिश्ते की कई खबरें सामने आई थी। राज सिंह की दोस्ती लता मंगेशकर के भाई से थी। दोनों एक साथ क्रिकेट खेला करते थे। हृदयनाथ मंगेशकर और राज सिंह डूंगरपुर वास्तव में अच्छे दोस्त थे। उनकी ज्यादातर मुलाकातें हृदयनाथ के घर पर होती थीं।

राज सिंह और लता के बीच कई मुलाकातों के बाद, दोनों एक-दूसरे के लिए कुछ महसूस करने लगे थे और समय के साथ, उन्हें एक-दूसरे से प्यार हो गया था। यह भी खबर थी कि राज सिंह लता मंगेशकर को ‘मिट्ठू’ नाम से बुलाते थे।यह भी खबर समाने आई थी कि लता मंगेशकर और राज सिंह डूंगरपुर दोनों शादी करने की योजना बना रहे थे, लेकिन जब राज सिंह ने अपने माता-पिता को इस बारे में बताया था तो उनके पिता, महारावल लक्ष्मण सिंहजी ने शादी करने के उनके विचार को खारिज कर दिया था।

इसके पीछे का कारण यह था कि लता एक शाही परिवार से नहीं थी। इसलिए, महारावल लक्ष्मण अपने बेटे राज सिंह को एक आम लड़की से शादी नहीं करने दे सकते थे।महारावल लक्ष्मण सिंहजी के दृढ़ निर्णय ने राज सिंह डूंगरपुर और लता मंगेशकर के सपनों के महल को पलों में तोड़ दिया था। तभी राज सिंह ने अपने अपार प्यार और सम्मान के कारण अपने पिता के फैसले को स्वीकार करने का फैसला किया था, लेकिन बिंदास बेटे ने अपने पूरे जीवन में किसी से शादी नहीं करने की कसम खाई थी और इसके बारे में अपने माता-पिता को बताया था।

हालाँकि, लता मंगेशकर भी राज सिंह के प्यार में पागल थीं, परिणामस्वरूप, प्रतिष्ठित गायिका ने भी यही कसम खाई थी, और दोनों जीवन भर दोस्त बने रहे थे। 12 सितंबर, 2009 को राज सिंह डूंगरपुर की मुंबई में अल्जाइमर रोग से लंबी लड़ाई के कारण मृत्यु हो गई थी। इस बात से कोई इंकार नहीं है कि लता मंगेशकर और राज सिंह डूंगरपुर की प्रेम कहानी का अंत सबसे अच्छा नहीं था।

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