सेंट्रल डेस्क। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के 10 मार्च को आए परिणाम में कांग्रेस पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा है। पांच राज्यों में हुए विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस एक भी राज्य जीत नहीं सकी, इसके साथ ही पंजाब की सत्ता भी हाथों से निकल गई।
यूपी में हुई हार की समीक्षा करने को लेकर मंगलवार को कांग्रेस महासचिव और यूपी कांग्रेस की प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा के नेतृत्व में समीक्षा बैठक की गई। बैठक में पूर्व सांसद प्रमोद तिवारी, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू, आराधना मिश्रा समेत वरिष्ठ नेता शामिल हुए।
गौरतलब है कि इस चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन खराब ही रहा, क्योंकि उसे 403 सीटों में से सिर्फ दो पर ही जीत हासिल हुई, जबकि 2017 के विधानसभा चुनाव में वह सात सीटों पर जीती थी। वहीं 2012 के विधानसभा चुनाव में वह 28 सीटों पर जीती थी। इस हिसाब से देखें तो लगातार कांग्रेस का ग्राफ गिरता रहा है। 10 मार्च को आए रिजल्ट में कांग्रेस ने जिन दो सीटों पर चुनाव जीता है उनमें से प्रतापगढ़ की रामपुर खास और महाराजगंज की फरेंदा विधानसभा सीट है। रामपुर खास से अराधना मिश्रा मोना और फरेंदा सीट से वीरेंद्र चौधरी ने जीत हासिल की है।
399 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली कांग्रेस के 387 यानी 97 प्रतिशत उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई। विधान सभा चुनाव में प्रदेश में कुल 4442 प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे जिसमें से 3522 उम्मीदवार यानी 79.28 प्रतिशत अपनी जमानत नहीं बचा पाए। यूपी विधानसभा चुनाव में महज दो सीटें जीतने वाली कांग्रेस सिर्फ चार सीटों पर दूसरे स्थान पर रही।
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चुनाव में पार्टी के सभी 399 प्रत्याशियों को कुल मिलाकर 21,51,234 वोट मिले जो कि कुल पड़े मतों का 2.33 प्रतिशत है। इस हिसाब से कांग्रेस के हर उम्मीदवार को औसतन 5391 वोट मिले। कांग्रेस से ज्यादा वोट प्रतिशत तो राष्ट्रीय लोक दल का रहा जो सिर्फ 33 सीटों पर चुनाव लड़ी। रालोद को 2.85 प्रतिशत वोट मिले।