चंपारण : पैक्सों को आत्मनिर्भर बनाने की जगह डिफॉल्टर बनाने में जुटे अधिकारी : अभिजीत सिंह

पूर्वी चंपारण

-कहा, उसना-अरवा चावल के चक्कर में फंसे पैक्स अध्यक्ष

Motihari/ Rajan Dwivedi: पूर्वी चंपारण जिले सहित पूरे प्रदेश भर में धान अधिप्राप्ति व सरकार को आपूर्ति करने के नियमों को जन अधिकार पार्टी के प्रदेश महासचिव ढाका विधानसभा के पूर्व प्रत्याशी अभिजीत सिंह ने दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए सूबे के सरकार को कई बिंदुओं पर ध्यान आकृष्ट कराया है। जिससे पूरे बिहार भर में पैक्सों के धान अधिप्राप्ति सुगमता से हो सके। जाप नेता अभिजीत सिंह ने कहा कि पैक्स अध्यक्ष उसना-अरवा चावल के चक्कर में फंसे हैं ऐसे में धान की खरीदारी पर संकट मंडरा रहा है। इससे राज्य के किसानो के साथ-साथ सभी पैक्स अध्यक्षों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जानकारी के अनुसार सरकार का निर्देश है कि सभी पैक्स को उसना चावल देना है सुबे में पैक्स के पास कहीं भी उसना चावल का मशीन सुचारू रूप से नहीं चला रहा है, वर्षों पुराने बंद पड़े उसना मिलो को कागज पर अधिक क्षमता दिखाकर खानापूर्ति की जा रही है।

यदि सरकार की ओर से अरवा चावल आपूर्ति करने का प्रावधान किया जाता है तो धान अधिप्राप्ति लक्ष्य से अधिक की प्राप्ति की जा सकती है। राज्य में अरवा चावल मिलो की संख्या अधिक है। जिससे समितियों की ओर से ससमय चावल ए०एफ०सी० को आपूर्ति किया जा सकता हैं। धान अधिप्राप्ति में हो रही कठिनाईयों को देखते हुए समितियों की ओर से अधिप्राप्ति कार्य का बहिष्कार किया जा रहा है। समितियों की हर तरफ दौहन तथा हानि ही प्रतित हो रहा है। समितियों को बैंक से प्राप्त कैश क्रेडिट ऋण पर दी जाने वाला सूद का अधिक भुगतान देना पड़ता है। ऐसी स्थिति में पैक्स अध्यक्षों के सामने विकट परिस्थिति उत्पन्न हो गई है नतीजा है कि धान अधिप्राप्ति का कार्य काफी धीमा चल रहा है।

श्री सिंह ने कहा कि वर्तमान में सरकार की ओर से शत प्रतिशत उसन चावल आपूर्ति का प्रावधान किया गया है, जो संभव प्रतीत नहीं हो रहा है। कई जिलों में उसना चावल मील सुचारू रूप से कार्य नहीं कर रही हैं। पैक्सों से मिलो के दूरी अधिक रहने के कारण से गाड़ी भाडा व ससमय बीएसएफसी को चावल आपूर्ति कर पाना असंभव प्रतित होता हैं। साथ ही, चावल मील के मालिक का स्वभाव पैक्सों के प्रति सही नही रहता है। उनका चावल कुटाई व आपूर्ति में मनमानी व तानाशाही कर दोहन करने का कार्य किया जाता रहा है।

सरकार से प्राप्त होने वाली धान कुटाई का दर बहुत कम है। सुबह के 20 जिले मोतीहारी, सिवान गोपालगंज, कैमूर, रोहतास औरंगाबाद में अरवा चावल खाने की चलन है जबकि सरकार इन जिलों के पैक्सों से उसना चावल की मांग हो रही है ऐसी स्थिति में पैक्स अध्यक्षों के सामने विकट परिस्थिति उत्पन्न हो गई है नतीजा है कि धान अधिप्राप्ति का कार्य काफी धीमी है। जाप नेता श्री सिंह ने कहा कि सरकार द्वारा पैक्स में अरवा चावल मिल जोरों शोरों से लाखों रुपए खर्च कर लगाया गया परंतु इन मिलों को अपने ही पैक्स के द्वारा खरीदी गई धान को कूटने का अधिकार दिया गया है जिससे उससे पैक्स को कर्ज चुकाने में भी परेशानी हो रही है जबकि गैर अरवा मिल को जिलों में धान कूटने का प्रक्रिया चालू है।

जाप नेता श्री सिंह ने कहा कि अगर पैक्स मैं स्थापित मिलो को जिले भर से धान अधिप्राप्ति की गई धान को कूटने का अधिकार दिया जाता है तो ऐसे में पूरे राज्य भर में अधिप्राप्ति की लक्ष्य से अधिक धान की खरीदारी हो सकेगी। परंतु उसना चावल मिल एवं गैर अरवा मिल मिलकर पैक्सों का दोहन कर रहे हैं। जाप नेता श्री सिंह ने कहा कि सूबे में 8463 पैक्स है तथा अरवा चावल की मांग अधिक है इसलिए सरकार अरवा उसना चावल का संतुलन बनाएं।

नही तो फैक्स को सिर्फ धान अधिप्राप्ति करने का ही अधिकार दिया जाए कुटाई की जिम्मेवारी नोडल एजेंसी एसएफसी को ही दी जाए। सरकार के इन सभी रवैये से सारे पैक्स अध्यक्ष डिफॉल्टर हो जाएंगे सरकार इन की समस्या का समाधान नहीं करती है तो इस मुद्दे को लेकर सड़क से सदन तक लड़ाई की जाएगी।