बिहार में सेब, ग्रीन एप्पल, मौसमी-संतरा और माल्टा जैसे फलों की अब खेती संभव

पूर्वी चंपारण
  • चंपारण के नेपाल तराई क्षेत्र में फलों की खेती कर किसान शिशिर बन गए हैं खेतिहरों के आइकन

चंपारण, राजन द्विवेदी। सेब कश्मीर में तो मौसमी व संतरे की खेती और उत्पादन महाराष्ट्र एवं मध्य प्रदेश में ही होने के मिथक को बिहार प्रांत स्थित चंपारण के एक किसान शिशिर दूबे ने तोड़ दिया है। उन्होंने यह साबित कर दिया है कि बिहार में खासकर चंपारण की मिट्टी में वह दम है कि किसानों में अगर हौसले और खेती के हुनर हो तो सभी तरह की फसलों को केवल उगाकर ही नहीं, बल्कि उनकी अच्छी पैदावार और उत्पादन कर सकते हैं। जिसके सहारे अपनी आर्थिक स्थिति को किसान मजबूत कर सकते हैं।

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अब आइए उस इलाके से आपको रूबरू कराते हैं। जहां आज कश्मीर के सेव, एमपी और महाराष्ट्र के मौसमी, संतरे, इलाहाबाद के थाई अमरूद तो भूसावल के जी नाइन केला की खेती किसान कर रहे हैं। यह इलाका बिहार के नेपाल तराई क्षेत्र में स्थित पश्चिम चंपारण के बगहा अनुमंडल और रामनगर प्रखंड का चुड़िहरवा गांव है। जहां मौसम की बात करें तो नैनीताल के जैसी और रमणीय खुबसूरती से लबरेज है।

गन्ना में घाटे ने फलों की खेती का कराया सफर शूरू

किसान शिशिर दूबे बताते हैं कि आर्थिक आमदनी के लिए मुख्य रूप से गन्ना की खेती पर चंपारण के किसान आश्रित हैं। चंपारण में चीनी मिलों की गन्ना मूल्य भुगतान की दिशा में स्थिति ठीक नहीं है। समय पर पैसे नहीं मिलने से किसान औने पौने दामों में बिचौलिए के हाथ गन्ना बेंच कर अपनी जरूरतों को पूरा करते हैं। कितने चीनी मिलें बंद हो चुकी है। वहीं मजदूरों के अभाव में गन्ना, धान और गेहूं की खेती काफी महंगी और मुश्किलों वाली है।

इसी बीच मैंने कृषि विभाग के सहयोग और दिए हौसले से फलों की खेती करीब तीन वर्ष पहले शुरू की। तब लोग मुझे पागल कहने लगे। लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी। मौसमी, संतरा, हरिमन 99 सेब, कश्मीरी एप्पल, बेर, ग्रीन एप्पल बेर, इलाहाबादी थाई अमरूद और पपीता की खेती शुरू कर दी। साथ ही तत्काल आमदनी भी शुरू हो सके इसके लिए जी नाइन केला का भी खेती शुरू कर दिया और आमदनी भी हो रही है।

किसान शिशिर बताते हैं कि सब्र का फल मीठा होता है। यह अब साबित हो गया है। अब माल्टा, मौसमी, संतरे, सेब, अमरूद, पपिता, ग्रीन एप्पल बेर में फल इस वर्ष से लगने शुरू हो गए हैं। जो कि इस साल बहुत ज्यादा तो नहीं परंतु उत्पादन ठीक ठाक होने का अनुमान है। जबकि केला की खेती से आमदनी का स्रोत भी बरकरार है।