महंगाई कम करने के लिए सरकार लगा रही है गेहूं के आटे के निर्यात पर बैन

इकॉनमी दिल्ली

सेंट्रल डेस्क। मोदी सरकार ने आज गेहूं के आटे के दाम में तेजी पर लगाम लगाने के लिये इसके निर्यात पर बैन लगाने का रास्ता साफ कर दिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) की बैठक में यह फैसला किया गया. सीसीई की इस मंजूरी से अब गेहूं के आटे के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की अनुमति मिल जाएगी जो गेहूं के आटे की बढ़ती कीमतों पर अंकुश सुनिश्चित करेगा और समाज के सबसे कमजोर वर्गों की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करेगा.

आधिकारिक बयान के अनुसार, मंत्रिमंडल के इस निर्णय से अब गेहूं के आटे के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की अनुमति होगी. इससे आटे की बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगेगा और समाज के सबसे कमजोर तबके के लिये खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित होगी. विदेश व्यापार महानिदेशालय इस बारे में अधिसूचना जारी करेगा.

बयान के मुताबिक इससे पहले गेहूं के आटे के निर्यात पर रोक या कोई प्रतिबंध नहीं लगाने की नीति थी. ऐसे में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने और देश में गेहूं आटे की बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगाने के लिये इसके निर्यात पर प्रतिबंध/प्रतिबंधों से छूट को वापस लेकर नीति में आंशिक संशोधन की जरूरत थी.

क्यों बढ़ीं गेहूं के आटे की कीमतें
रूस और यूक्रेन गेहूं के प्रमुख एक्सपोर्टर्स हैं. दोनों देशों की वैश्विक गेहूं व्यापार में लगभग एक-चौथाई हिस्सेदारी हैं. दोनों देशों के बीच युद्ध से गेहूं की सप्लाई व्यवस्था प्रभावित हुई है. इससे भारतीय गेहूं की मांग बढ़ गई है. इसके कारण घरेलू बाजार में गेहूं के दाम में तेजी देखने को मिली है. इसके अलावा देश में भीषण गर्मी और बढ़ी मांग के चलते भी घरेलू कीमतें तेजी से बढ़ रही थीं. इसको देखते हुए सरकार ने फैसला लिया कि पहले घरेलू मांग पर ही ध्यान दिया जाना चाहिए और निर्यात के बैन पर यदि जरूरत पड़ती है तो इसके लिए रास्ता खोल दिया जाए.

निर्यात 200 फीसदी बढ़ा
सरकार ने देश में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये मई में गेहूं के निर्यात पर रोक लगा दी थी. हालांकि, इससे गेहूं के आटे की विदेशी मांग में उछाल आया. भारत से गेहूं आटे का निर्यात इस साल अप्रैल-जुलाई में सालाना आधार पर 200 फीसदी बढ़ा है.