कश्मीरी पंडितों की त्रासदी पर मलहम बनी कश्मीर फाइल्स-अनुपम खेर

News एंटरटेनमेंट जोन

Goa, Beforeprint Desk : ‘द कश्मीर फाइल्स’ के मुख्य अभिनेता अनुपम खेर ने कहा कि 32 साल बाद इस फिल्म ने दुनिया भर के लोगों को 1990 के दशक में कश्मीरी पंडितों के साथ हुई त्रासदी के बारे में जागरूक होने में मदद की है। वे पणजी, गोवा में 53वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में आयोजित इफ्फी टेबल टॉक्स में हिस्सा ले रहे थे।

उन्होंने कहा, “ये सच्ची घटनाओं पर आधारित फिल्म है। निर्देशक विवेक अग्निहोत्री ने इस फिल्म के लिए दुनिया भर से लगभग 500 लोगों का साक्षात्कार लिया था। 19 जनवरी 1990 की रात को बढ़ती हिंसा के बाद 5 लाख कश्मीरी पंडितों को कश्मीर घाटी में अपने घरों और यादों को छोड़ना पड़ा था। एक कश्मीरी हिंदू के रूप में मैंने उस त्रासदी को जिया है। लेकिन उस त्रासदी को कोई कुबूल करने को तैयार नहीं था। दुनिया इस त्रासदी को छिपाने की कोशिश कर रही थी। इस फिल्म ने उस त्रासदी का दस्तावेजीकरण करके एक हीलिंग प्रोसेस शुरू किया।”

एक त्रासदी को परदे पर जीने की प्रक्रिया याद करते हुए अनुपम खेर ने कहा कि “द कश्मीर फाइल्स” उनके लिए सिर्फ एक फिल्म नहीं है, बल्कि एक भावना है जिसे उन्होंने निभाया है। उन्होंने कहा, “चूंकि मैं उन लोगों का प्रतिनिधित्व करता हूं जिन्हें उनके घरों से निकाल दिया गया है, इसलिए मैं सर्वोत्तम संभव तरीके से इसे व्यक्त करने को एक बड़ी जिम्मेदारी मानता हूं। मेरे आंसू, मेरी मुश्किलें जो आप इस फिल्म में देख रहे हैं, वे सब असली हैं।”

अनुपम खेर ने आगे कहा कि इस फिल्म में एक अभिनेता के रूप में अपने शिल्प का इस्तेमाल करने के बजाय, उन्होंने असल जिंदगी की घटनाओं के पीछे की सच्चाई को अभिव्यक्ति देने के लिए अपनी आत्मा का इस्तेमाल किया। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि फिल्म के पीछे मुख्य विषय ये है कि कभी हार नहीं माननी चाहिए। उन्होंने कहा, “उम्मीद हमेशा आसपास ही कहीं होती है।”

कोविड महामारी और उसके बाद लगे लॉकडाउन ने लोगों के फिल्में देखने के तरीके को प्रभावित किया है। अनुपम खेर ने इस तथ्य पर जोर देते हुए कहा कि ओटीटी प्लेटफॉर्म से दर्शकों को विश्व सिनेमा और विभिन्न भाषाओँ की फिल्में देखने की आदत पड़ गई है। उन्होंने कहा, “दर्शकों को यथार्थवादी फिल्मों का स्वाद मिला। जिन फिल्मों में वास्तविकता का अंश होगा, वे निश्चित रूप से दर्शकों के साथ जुड़ेंगी। कश्मीर फाइल्स जैसी फिल्मों की सफलता इसका प्रमाण है। गाने और कॉमेडी के बगैर भी यह फिल्म कमाल की साबित हुई। यह वास्तव में सिनेमा की जीत है।”