स्टेट डेस्क/रांची। अलग राज्य बनाने के बाद कभी भी अरक्षित कोटे के बैकलॉग पदों को भरने के लिए नीतिगत निर्णय नहीं लिया गया। यह एक जटिल समस्या है। सरकार राज्य भर के सभी आरक्षित कोटे के बैकलॉग पदों का अध्ययन कराएगी। इसके बाद नियुक्ति का निर्णय लिया जाएगा। यह बात मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सदन में कही। वे प्रश्नकाल के दौरान विधायक बंधु तिर्की के प्रश्न का जवाब दे रहे थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार चाहती है कि उप राजधानी दुमका में हाई कोर्ट की एक बेंच का गठन हो, इसको लेकर सरकार गंभीर है। यह विधायिका और न्यायपालिका के बीच का नीतिगत मामला है। सरकार ने इस बाबत हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र भी लिखा है। कई बार मौखिक बात भी हुई थी। राज्य सरकार आधारभूत संरचना दे सकती है, निर्णय न्यायपालिका को लेना है। देवघर विधायक नारायण दास ने यह मामला मुख्यमंत्री प्रश्न काल मे उठाया था।
सोरेन ने झामुमो विधायक दशरथ गागराई के सवाल के जवाब में कहा कि झारखंड आंदोलन में शहीद हुए आंदोलनकारियों के परिजनों को सरकारी नौकरी और मुआवजा पर राज्य सरकार ने पहले ही निर्णय ले लिया है। सरकार इस पर चिन्हितिकरण आयोग की अनुशंसा पर आगे की कार्यवाही करेगी। खरसावां गोलीकांड का मामला 1948 का है। इस मामले पर 2016 में जिलास्तरीय बैठक हुई थी और दो लोगों को एक एक लाख का मुआवजा दिया गया था। गुवा गोलीकांड में शहीद हुए लोगों के परिजनों को नौकरी दी गई है।
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