Khagadiya, Beforeprint : मिशन 60 डेज के तहत हेल्थ डिपार्टमेंट की आधारभूत संरचना को बेहतर बनाने की कवायद की जा रही है। लेकिन खगड़िया की पीएचसी इसे मानने को ही नहीं तैयार हैं। कल ही यहां दिल दहला देने वाली वारदात का खुलासा हुआ था जिसमें 23 महिलाओं की नसबंदी ऐसे कर दी गई कि जैसे जानवरों की भी नहीं की जाती। बिना बेहोश किये या लोकल एनस्थीसिया दिये ही इन महिलाओं का नसबंदी का आपरेशन कर डाला गया। परबत्ता में भी इसी तरह की अमानवीय घटना हो चुकी है। अब राष्ट्रीय महिला आयोग ने मामले को संज्ञान में ले लिया है। आयोग के तरफ से बिहार के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर मामले की जांच करने को कहा है। बिहार के खगड़िया जिले के अलौली पीएचसी में महिलाओं का बंध्याकरण का जो मामला सामने आया था। उसकी जांच शुरू कर दी गई है। यहां डॉक्टरों ने बंध्याकरण के मानकों को ताक पर रखकर महिलाओं का ऑपरेशन कर दिया है।
महिलाओं ने आरोप लगाया है कि बिना बेहोश किए ही उनकी नसबंदी कर दी गई। 7 महिलाओं ने दर्द से चीखती चिल्लाहती महिलाओं की हालत देखकर ऑपरेशन कराने से इनकार कर दिया और हंगामा मचाकर अपनी जान छुड़ायी। सेंटर पर में स्टरलाइजेशन कराने आई 30 महिलाओं का बंध्यापकरण होना था। जिन्हेंी बिना एनेस्थीसिया दिए ही ऑपरेशन कर दिया गया। मामला तब खुला जब चीखती चिल्लाेती महिलाओं को देखकर दूसरी महिलाओं ने हंगामा शुरू कर दिया। महिलाओं का आरोप है कि होश में रखकर ही ऑपरेशन कर दिया गया। महिलाओं ने बताया कि जिस एनजीओ की ओर से उनका बंध्यामकरण किया जा रहा था उसके डॉक्टरों ने 23 महिलाओं का ऑपरेशन इसी तरह कर डाला। कुमारी प्रतिमा का कहना है कि इस तरीके का विरोध करने के बाद भी उनकी एक न सुनी गई।
डॉक्टरों ने बिना कोई दवा दिए ही चीरा लगा कर आपरेशन कर डाला। प्रतिमा ने आरोप लगाया उन्हें दर्द में तड़पता देखकर उनके हाथ पैर पकड़ लिए गए। और तो और वे चीख न पाएं इसके लिए उनका मुंह भी दबा दिया गया। महिलाओं का आरोप है कि ऑपरेशन करने वाले दरअसल डॉक्टर ही नहीं थे। वहीं इस प्रकरण पर सिविल सर्जन अमरकांत झा ने कहा कि मामले की जांचकर दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी। ऐसा क्यों और कैसे हुआ? इसमें कौन से कर्मी और डॉक्टर शामिल थे? इसका पता लगाया जाएगा और जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी।