टीबी रोगियों के लिए वरदान साबित हो रही है पीपीएसए कार्यक्रम : डॉ रंजीत

मोतिहारी

निजी तौर पर इलाज करा रहे 2500 से ज्यादा मरीजों को मिल रही है मदद, दवाई खाना बीच में  नहीं छोड़ें, डोज पूरी करें 

मोतिहारी / राजन द्विवेदी। जिले में निजी तौर पर चिकित्सकों से इलाज करा रहे टीबी रोगियों के लिए डॉक्टर्स फॉर यू संस्था द्वारा पीपीएसए कार्यक्रम चलाया जा रहा हैं। इस कार्यक्रम के तहत प्राइवेट सेक्टर में इलाज कराने वाले टीबी रोगियों को सरकार  द्वारा निर्धारित सुविधाएँ मुफ्त में दी जा रही हैं। इसकी जानकारी जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ रंजीत राय एवं डॉक्टर्स फॉर यू संस्था के जिला समन्वयक रंजन कुमार वर्मा ने दी। रंजन वर्मा ने बताया कि मोतिहारी जिले में जनवरी 2022 से डॉक्टर्स फॉर यू द्वारा पीपीएसए कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इस कार्यक्रम के माध्यम से प्राइवेट सेक्टर में इलाज करा रहे सभी टीबी रोगियों यो को भरपूर लाभ मिल रहा है, जिसमें जांच से लेकर टीबी की दवा तक सभी प्राइवेट क्लिनिक पर मुफ्त उपलब्ध कराया जा रहा है।

  • निश्चय पोर्टल पर किया जाता है रजिस्ट्रेशन :

टीबी के रोगी का पंजीकरण भारत सरकार के पोर्टल निश्चय पर किया जाता  हैं, ताकि सरकार की सभी सुविधाएँ उन्हें मिल सके। सरकार को भी पता हो कि प्राईवेट सेक्टर से प्रतिदिन कितने न्यू टीबी केस निकल रहे हैं। न्यू टीबी केस निकलने वाले रोगियों का सीबी नेट टेस्ट के लिए सैंपल भी लिया जाता हैं और टेस्ट कराकर देखा जाता हैं कि कही रोगी एमडीआर टीबी का रोगी तो नहीं है।

2025 तक देश को टीबी मुक्त बनाना है-

भारत सरकार का लक्ष्य वर्ष 2025 तक भारत से टीबी को समाप्त करने का हैं। इसे लेकर पब्लिक और प्राइवेट सेक्टर में टीबी के खिलाफ मुहिम चलाया जा रहा है। जनवरी माह से मार्च 2022 तक प्राइवेट सेक्टर में कुल 1 हजार 261 टीबी के नये रोगी मिले हैं और अप्रैल से जून तक में कुल 1 हजार 239 नये रोगी मिले हैं। इन सबका इलाज पीपीएसए कार्यक्रम के तहत चल रहा है। टीबी रोगियों  के घर ट्रीटमेंट कोऑर्डिनेटर जाते हैं, साथ ही होम विजिट करते हैं। एचआईवी, सुगर की जांच के साथ दवा कैसे खाना है, कितने दिन तक खाना है, फिर दुबारा डॉक्टर के पास कब दिखाने जाना हैं आदि की जानकारी देते हैं।

दवाई खाना बीच में नहीं छोड़ें, डोज पूरी करें-

डॉ रंजीत राय ने बताया कि क्षय रोग की दवा बीच में छोड़ना खतरनाक है। पूरा कोर्स करना जरूरी है, तभी टीबी से मुक्ति मिल सकती है। दवा शुरू होने के एक माह बाद ही रोगी स्वस्थ महसूस करने लगते हैं। ऐसे में कई रोगी दवा बीच में ही छोड़ देते हैं। बीच में दवा छोड़ने से वे पुनः टीबी की चपेट में आ जाते हैं, जिनका उपचार मुश्किल हो जाता है। अतः भूल से भी दवा बीच में बंद न करें।

  • सरकार द्वारा टीबी मरीजों को मिलती है सहायता

टीबी मरीजों को निक्षय पोषण योजना के तहत डीबीटी के माध्यम से प्रति माह 500 रुपये की पोषाहार सहायता राशि भी  दी जाती है।