-दिवसीय राज्य स्तरीय प्राकृतिक खेती सम्मेलन कार्यक्रम का हुआ शुभारंभ
मोतिहारी/राजन द्विवेदी। बिहार के महामहिम राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कहा कि लोभ, अज्ञानता एवं अधिक उत्पादन के लालच में लोग रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशकों का अंधाधुंध उपयोग कर इस धरती माता को अनेक समस्याओं से ग्रसित कर दिया है। वर्तमान परिस्थिति में कृषि आदानों के अविवेकपूर्ण प्रयोग ने बहुत सारी समस्याओं को परिलक्षित किया है, जिसके फलस्वरूप पंचमहाभूत भूमि, जल, वायु, अग्नि एवं अंतरिक्ष सभी प्रभावित हुए है।
जिसका उदाहरण जलवायु परिवर्तन के रूप में दिखाई दे रहा है। महामहिम राज्यपाल आज मोतिहारी के प्रेक्षागृह (ऑडिटोरियम) राजा बाजार, मोतिहारी में आयोजित दो दिवसीय राज्य स्तरीय प्राकृतिक खेती सम्मेलन कार्यक्रम का शुभारंभ करने के बाद कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। वहीं इसके पूर्व उक्त कार्यक्रम बतौर मुख्य अतिथि बिहार के राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने द्वीप प्रज्वलित कर इस कार्यक्रम का उद्घाटन किया।
राज्यपाल श्री आर्लेकर ने कहा कि पर्यावरण एवं प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के लिए एक संतुलित एवं एकीकृत प्रयास की आवश्यकता है। इस दिशा में प्राकृतिक खेती का समायोजन एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। इसके लिए किसानों को चाहिए कि एक देसी गाय का पालन अवश्य करें। जिसके गोबर, मुत्र एवं उनके अन्य स्रोतों से धरती को मजबूत बनाया जा सकता है।
पदम् श्री सुभाष पालेकर जी ने धरती माता के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने एवं कृषि लागत को कम करने के लिए खेती की कम लागत प्राकृतिक खेती को प्रकाश में लाया ।
कम लागत का मतलब गांव का गांव और शहर का पैसा भी गांव में किसानों को कोई भी चीज शहर जाकर न खरीदनी पड़े। इससे किसानों की लागत कम हो गई तो आय निश्चित बढ़ेगी, इसके साथ-साथ हमारा उत्पादन भी जहर मुक्त होगा। सरकार रसायनिक उर्वरक की जगह प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रही है । देश में प्राकृतिक खेती हेतु उपयुक्त पैकेज का निर्धारण, पारंपरिक खेती की तुलना में प्राकृतिक खेती द्वारा मृदा स्वास्थ्य, गुणवत्ता एवं फसल उत्पादन का विश्लेषण इत्यादि पर शोध भी प्रारम्भ हो गया है।
वैज्ञानिकों ने किसी जमाने में इस देश में लोगों को भूखमरी से बचाया था, अब लोगों को अस्वस्थ होने से बचाना होगा । वैज्ञानिक ही किसानों और देश का भाग्य विधाता है, इसलिए इस दिशा में आगे आएंगे तो सार्थक परिणाम मिलेंगे। इस खेती से जमीन की उर्वरशक्ति बचेगी, जल की बचत होगी, गौ-माता बचेगी, किसान ऋणी होने से बचेगा एवं बीमारी से मरने वाले लोग बचेंगे। इस अवसर पर पूर्व केंद्रीय कृषि, किसान कल्याण मंत्री सह सांसद राधामोहन सिंह ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि देश के पंजाब सहित कई प्रांतों की मिट्टी की शक्ति उर्वरकों के उपयोग से खोखली हो चुकी है।
वहीं बिहार में जो मिट्टी की शक्ति बची है उसे और मजबूत करने के लिए प्राकृतिक खेती करके मजबूत करने की जरूरत है। मौके पर पूर्व मंत्री विधायक प्रमोद कुमार, विधायक लालबाबू यादव, विधायक सुनील मणि तिवारी, अटारी कृषि विश्वविद्यालय के निदेशक डॉ अंजनी कुमार, पूसा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ पी सी पांडेय सहित कई सभी जनप्रतिनिधियों सहित जिले के किसान एवं केवीके के वैज्ञानिक उपस्थित थे।