चंपारण : क्षमता संवर्धन प्रशिक्षण प्राप्त किसान उन्नत तरीके से कर रहे हैं खेती: राधामोहन सिंह

मोतिहारी

मोतिहारी/ राजन द्विवेदी। महात्मा गांधी समेकित कृषि अनुसंधान संस्थान, पीपराकोठी के सभागार में आज क्षमता संवर्द्धन कार्यक्रम का आयोजन हुआ। इस अवसर पर उपस्थित किसानों को संबोधित करते हुए सांसद सह पूर्व केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि क्षमता संवर्द्धन प्रशिक्षण का अर्थ किसी व्यक्ति की योग्यता और कौशल को बढ़ाने के लिए दिया जाने वाला प्रशिक्षण होता है।

इससे रोजगार की संभावना बढ़ती है। क्षमता संवर्द्धन प्रशिक्षण के जरिए किसी व्यक्ति के जीवन और काम के प्रति दृष्टिकोण में बदलाव आता है। क्षमता संवर्द्धन प्रशिक्षण के जरिए कार्यालय प्रबंधन, वित्त और लेखा कार्य, विधिक मामले, बुनियादी साक्षरता, लेखन, बुनियादी संख्या ज्ञान आदि का ज्ञान प्राप्त करते हैं। पूर्वी चम्पारण जिला अंतर्गत कृषि विभाग द्वारा विभिन्न क्षमता संवर्द्धन कार्यक्रम चलाया जा रहा है।

जिसमें किसान को राज्य के बाहर, राज्य के अंदर एवं जिला के अंदर प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन कर किसानों को लाभान्वित किया जा रहा है। प्रशिक्षण प्राप्त कर किसान उन्नत तरीके से खेती की विधि को अपना रहे है। आत्मा पूर्वी चम्पारण के द्वारा राज्य के बाहर वर्ष 2024-25 में 1080 लक्ष्य के विरूद्ध 1421 किसानों को विभिन्न क्षेत्र यथा प्याज एवं लहसून का उन्नत उत्पादन, सब्जी, औषधीय पौधों की खेती एवं कृषि मशीनरी का प्रशिक्षण विभिन्न संस्थानों से कराया गया।

वहीं राज्य के अंदर 653 किसानों को विभिन्न क्षेत्रों में आम, लीची, पशुपालन, कृषि विपणन, मक्का, मुर्गी पालन, गन्ना, बकरी पालन, प्राकृतिक खेती इत्यादि के क्षेत्र में किसानों को प्रशिक्षण कराया गया है। जिला के अंदर 12951 किसानों को कर्मशाला, मछली उत्पादन, मखाना की खेती, मोटे अनाज फसलों की खेती, मसाला की खेती, उद्यानिक फसल आदि क्षेत्र में प्रशिक्षण कराया गया है।

साथ ही 2120 बरोजगार युवकों को समेकित पोषक तत्व प्रबंधन विषय पर कृषि विज्ञान केंद्र, पीपरकोठी, पूर्वी चम्पारण द्वारा प्रशिक्षित किया गया है। प्रशिक्षण के उपरांत संबंधित युवकों को कृषि विभाग की ओर से उर्वरक अनुज्ञप्ति प्रदान किया गया है। जिससे रोजगार का सृजन एवं अवसर को एक नया आयाम मिला है।

किसान उत्पादन संगठन किसानों के लिए विपणन, वित्त तक पहुंच और प्रौद्योगिकी जैसी चुनौतियों का सामूहिक रूप से समाधान करने का एक तरीका है। इसमें 1000 किसानों को जोड़ा जा सकता है जो की कृषि के विभिन्न कार्यों को संगठित तरीके से करते हैं जिन्हें सरकार के द्वारा एफपीओ किसानों को गुणवत्तापूर्ण इनपुट और सेवाओं तक पहुंच बनाने में मदद किया जाता है।

कृषक हितार्थ समूह (FPO) किसानों की खेती के सामान अभिरूचि जैसे की पशुपालन, फुल की खेती, श्री अन्न की खेती, सब्जी की खेती, औषधीय फसलों की खेती को धन में रखते हुए 20 से 25 किसानों का समूह होता है जिसका गठन एवपं निबंधन कृषि विभाग के आत्मा के द्वारा किया जहाता है। जिसके कर्मी प्रखंड तकनीकी प्रबंधक एवं सहायक तकनीकी प्रबंधक के द्वारा समय समय पर समूह का क्षमता संवर्द्धन के साथ ही सरकार के द्वारा किसानों को दी जाने वाली योजनाओं को उपलब्ध कराते रहेंगे।

कृषि विभाग के सभी अंगों जैसे उद्यान विभाग, पौधा संरक्षण विभाग, कृषि अभियंत्रण, आत्मा, पशुपालन विभाग एवं अन्य विभाग के पदाधिकारी को भी समय समय पर FPO एवं FIG के किसानों के साथ बैठक करके उनकी समस्यओं को सुनना और उसका त्वरित समाधान उपलब्ध कराने के साथ ही सरकार के योजनाओं में कृषक समूहों और FPO को प्राथमिकता देना है। जिससे सरकार के द्वारा किसानों की आय दुगुनी करने के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है।

यहां उपस्थित सभी प्रखंड कृषि पदाधिकारी, प्रखंड तकनीकी प्रबंधक, कृषि समन्वयक, सहायक तकनीकी प्रबंधक द्वारा भी अपने कार्यक्षेत्र में कार्यरत सभी किसान उत्पादक संगठन एवं कृषक समूहों के बीच सरकार की योजनाओं का प्रचार प्रसार करने के साथ ही सभी योजनाओं में प्राथमिकता देने हुए उपलब्ध करायेंगे।
यहां उपस्थित विभिन्न पंचायतों से आये हुए किसान सलाहकार जिनके द्वारा कृषि विभाग के सभी योजनाओं को धरातल पर उतारने में महत्वपूर्ण भूमिका रहती है।