चंपारण- महात्मा गांधी की कर्मभूमि में आकर अच्छा लगा, उनके विचारों को अपनाएं : द्रौपदी मुर्मू

मोतिहारी

– राष्ट्रपति ने दीक्षांत समारोह में विद्यार्थियों को दिया प्रमाण पत्र

मोतिहारी/ राजन द्विवेदी। महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, मोतिहारी द्वारा आयोजित प्रथम दीक्षांत समारोह का भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु, बिहार के राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, मोतिहारी सांसद राधा मोहन सिंह, कुलाधिपति महेश शर्मा ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर विधिवत कार्यक्रम का शुभारंभ किया।

इस अवसर पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की गयी। महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय मोतिहारी के कुलपति ने उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को शपथ दिलाई।

समारोह में महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, मोतिहारी के कुलपति प्रोफेसर संजय श्रीवास्तव ने राष्ट्रपति, राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री को अंगवस्त्र, स्मृति चिन्ह, मधुबनी पेंटिंग एवं महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय मोतिहारी का मोमेंटो भेंटकर उनका स्वागत किया।

राष्ट्रपति ने सबसे पहले दीक्षांत समारोह में प्रसिद्ध उद्योगपति, लेखक, समाजिक विचारक श्री आर०के० सिन्हा एवं भारतीय अभिनेता फिल्म निर्देशक एवं पटकथा लेखक श्री चंद्र प्रकाश द्विवेदी को डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया।

माननीय राष्ट्रपति ने महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय मोतिहारी के विभिन्न संकायों स्नातक एवं स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम के पास आउट विद्यार्थियों को मेडल एवं प्रशस्तिपत्र भेंटकर कुलाधिपति स्वर्ण पदक की उपाधि से सम्मानित किया।

एकेडमिक शोभा यात्रा के साथ अतिथियों ने महात्मा गांधी प्रेक्षागृह, मोतिहारी में प्रवेश किया। समारोह में सशस्त्र सीमा बल के बैंड द्वारा राष्ट्रगान की धुन बजायी गयी। दीक्षांत समारोह को राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने संबोधित करते हुए कहा कि बापू की कर्मभूमि पूर्वी चंपारण में स्थापित महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय मोतिहारी के प्रथम दीक्षांत समारोह में आकर मुझे बेहद प्रसन्नता हो रही है।

मैं आज उपाधि प्राप्त करने वाले सभी लोगों को बधाई एवं शुभकामनाएं देती हूं। आज दो विशिष्ट व्यक्ति डॉक्टरेट के मानद उपाधि से सम्मानित हुए हैं। मैं उन्हें भी विशेष तौर पर बधाई देती हूं। इस विश्वविद्यालय से प्रथम स्थान प्राप्त करनेवालों में 60 प्रतिशत संख्या छात्राओं की है। इस उपलब्धि के लिए मैं उन्हें साधुवाद देती हूं। मुझे विकसित भारत का स्वरुप यहां दिखाई दे रहा है।

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी छात्र-छात्राओं को समान शिक्षा का अवसर प्रदान करने की बात हमेशा कहा करते थे। गांधी जी के इस विचार को सदैव ध्यान में रखना चाहिए। उनके चंपारण सत्याग्रह में यहां के कई विभूतियों ने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया था।

भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने अपनी आत्मकथा में गांधी जी के चंपारण प्रवास की चर्चा की है। गांधी जी ने समाजिक समानता, एकता का रास्ता अपनाने का लोगों से आह्वान किया था। यहां पर वाल्मिकी टाइगर रिजर्व है।

यह धरती इतिहास एवं वन संपदा से समृद्ध है। यहां पर्यटन की आपार संभावनाएं हैं। आप सभी भगवान बुद्ध और बापू की इस धरती पर शिक्षा हासिल कर शिक्षा का परचम लहरायाएं ,मैं पुनः अपनी शुभकामनाएं देती हूं।

समारोह को संबोधित करते हुये माननीय राज्यपाल श्री राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कहा कि इस दीक्षांत समारोह में सम्मानित होने वाले लोगों को मैं बधाई देता हूं और उनका अभिनंदन करता हूं। राष्ट्रपति जी का इस कार्यक्रम में शामिल होना सौभाग्य की बात है। इस विश्वविद्यालय का अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार हो, यह हम सबका दायित्व है।

हम सबका बर्ताव और आचरण ही पहचान है। केवल मन में भाव रहने से नहीं होता। राष्ट्रीय शिक्षा नीति का यहां अनुपालन होना शुरु हुआ है। नीति के अनुपालन से युवा पीढ़ी का भविष्य बेहतर होगा। मेरा अनुरोध है कि आपसभी सरकारी योजनाओं को अपनाकर नौकरी देनेवाला बनें, जिसके लिए दृढ संकल्प लेने की जरुरत है।

दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुये मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि यह बहुत खुशी की बात है कि आज महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय मोतिहारी के प्रथम दीक्षांत समारोह में भारत की माननीय राष्ट्रपति उपस्थित हैं। मैं सबसे पहले इस कार्यक्रम में भारत की माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का अभिनंदन करता हूं। बापू की कर्मभूमि चंपारण की इस धरती पर मैं उनका स्वागत करता हूं।

मैं हृदय से आभारी हूं कि वे यहां प्रथम दीक्षांत समारोह में शामिल हुई हैं। आज महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय मोतिहारी के उपाधि प्राप्त करनेवाले विद्यार्थियों को तहे दिल से बधाई देता हूं। यह गौरव का क्षण है। कठिन परिश्रम के बल पर उन्होंने यह उपलब्धि हासिल की है। समाज कल्याण और राष्ट्र के निर्माण में आप सभी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं। मैं आपके उज्जवल भविष्य की कामना करता हूं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2007 में केंद्र सरकार ने कई राज्यों में केंद्रीय विश्वविद्यालय स्थापित करने का निर्णय लिया था। इसके बाद केंद्रीय विश्वविद्यालय अधिनियम पारित हुआ। उस समय बिहार में केंद्रीय विश्वविद्यालय बनाने का निर्णय लिया गया। हमने प्रस्ताव दिया कि बिहार में केंद्रीय विश्वविद्यालय बापू की कर्मभूमि चंपारण की धरती पर बने।

वर्ष 1917 में चंपारण सत्याग्रह के दौरान राष्ट्रपिता महात्मा गांधी सबसे पहले यहीं आए थे और किसानों पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ अभियान चलाया था। यहां के लोगों को पढने के लिए इंतजाम कराया। मैं माननीय राष्ट्रपति जी से आग्रह करूंगा कि आप अगली बार बापू के चिन्हों और उनकी कार्यस्थली का दर्शन करें।