चंपारण : मां चंद्रघंटा भक्तों को बनाती हैं पराक्रमी व निडर :अनुराग

मोतिहारी

मां चन्द्रघटा के पूजा में गाय के दूध का हैं अलग महत्व

संग्रामपुर / उमेश कुमार। नवरात्र के तीसरे दिन मां के तीसरे स्वरूप चंद्रघंटा का पूजन किया जाता है। मां के इस स्वरूप को युद्ध का देवी माना गया है। उक्त बातें जाने माने आचार्य अनुराग पाण्डेय ने सोमवार को कही। उन्होंने यह भी बताया कि शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने के लिए मां चंद्रघंटा की आराधना की जाती है।

मां की घंटी की आवाज हमेशा उनके भक्तों को बुरी नजरो व बुरी आत्माओं से बचाती हैं। दुष्टों को नाश के लिए हमेशा तैयार रहने के बावजूद उनका दिव्य रूप नम्रता और शांति से भरा रहता हैं। माता के मस्तक पर चंद्रमा आकर सुशोभित करते है इसलिए उन्हें चंद्रघंटा के नाम से जाना जाता है।

माता के शरीर का रंग स्वर्ण की तरह चमकीला है। मां चंद्रघंटा की पूजा करने से सही मनोकामनाएं भी पूरी होती है। चाहे आपको किसी भी प्रकार के शत्रु का भय हो या फिर कुंडली में ग्रह का दोष। इस रूप से सभी समस्याओ का निदान त्वरित निकलता हैं। भक्तों के मन से हर तरह के डर को दूर कर आत्मविश्वास का संचार करती है।

मां चंद्रघंटा की आराधना करने वाले भक्तों के चेहरे पर एक अलग ही चमक होती है। मां की कृपा से व्यक्ति को सुंदर एवं स्वस्थ शरीर प्राप्त होता है। मां चंद्रघंटा को भोग में गाय का दूध का एक अलग ही महत्व है‌।