मोतीहारी / दिनेश कुमार। बारहवीं अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश नूर सुल्ताना ने चरस व गांजा तस्करी मामले में दोषी पाते हुए नामजद एक अभियुक्त को दस वर्षो का सश्रम कारावास एवम एक लाख रुपए अर्थ दंड की सजा सुनाई। अर्थ दंड नहीं देने पर एक माह की अतिरिक्त सजा काटनी होगी। सजा संतोष कुमार पिता राम ललित, ग्राम चितखोर, पोस्ट बरहुआ, थाना लालगंज, जिला बस्ती (उत्तर प्रदेश) को हुई। मामले में पनटोका महादेवा एसएसबी कैंप के उप निरीक्षक सुनिल कुमार सिंह ने रक्सौल थाना कांड संख्या 69/2014 दर्ज कराते हुए कहा था कि 7 मार्च 2014 की सुबह गुप्त सुचना पर रक्सौल कोईरिया टोला चौक के समीप हाथ में बैग लिए एक युवक को पकड़ा गया।
जांच के दौरान बैग से पांच किलो चार सौ ग्राम चरस व चार किलो गांजा बरामद हुआ। उसने पुछताछ में बताया कि नारकोटिक्स नेपाल बीरगंज से मोतीहारी पहुंचना था। एनडीपीएस वाद संख्या-29/2014विचारण के दौरान विशेष लोक अभियोजक डा. शंभू शरण सिंह ने छह गवाहों को न्यायालय में प्रस्तुत कर अभियोजन पक्ष रखा। न्यायाधीश ने दोनों पक्षों के दलीलें सुनने के बाद एनडीपीएस की धारा 20(बी)ii(सी) में दोषी पाते हुए उक्त सजा सुनाई। कारागार में बताए अवधि का समायोजन सजा की अवधि में होगी। अभियुक्त 8 मार्च 2014 से कारागार में है।
सजा के बाद अभियुक्त फूट फूट कर रोया – सजा सुनाए जाने के पहले न्यायाधीश ने अभियूक्त से पूछा कि परिवार का कौन आया है। उसने बताया कि उसके परिवार में एक बूढ़ी मां है, जो आने में सक्षम नहीं थी। यह कहते हुए वह फूट फूट कर रोने लगा। उसे नार्कोटिक्स कारोबारियों ने कुरियर के रूप में इस्तेमाल किया था। गरीबी के कारण अपनी मोकदमा की पैरवी अधिवक्ताओं से कराने में सक्षम नहीं होने के कारण उसके आवदेन पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से पैनल अधिवक्ता नियुक्त किए गए थे। विशेष लोक अभियोजक डा. शंभू शरण सिंह ने कहा कि इस मोकदमा से सीख लेनी चाहिए कि किसी के बहकावे में आकर प्रतिबंधित वस्तु का कुरियर नहीं बनाना चाहिए।