चंपारण : सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह के साहिबजादों ने साहस के साथ अत्याचारियों का सामना किया : राधामोहन सिंह

मोतिहारी

मोतिहारी / राजन द्विवेदी। मोतिहारी भारतीय जनता पार्टी के द्वारा वीर बाल दिवस के अवसर पर नगर भवन में एक विचार संगोष्ठी का आयोजन किया गया। विचार संगोष्ठी का उद्घाटन सांसद पूर्व केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह, मंत्री गन्ना उद्योग विभाग बिहार सरकार कृष्णनंदन पासवान, मोतिहारी विधायक प्रमोद कुमार, गोविंदगंज विधायक सुनील मणि तिवारी, प्रदेश उपाध्यक्ष सरोज रंजन पटेल, भाजपा जिलाध्यक्ष प्रकाश अस्थाना, पूर्व विधायक सचिंद्र प्रसाद सिंह, पूर्व जिलाध्यक्ष राजेन्द्र प्रसाद गुप्ता, उप महापौर डॉ० लालबाबू प्रसाद, सतपाल सिंह छाबड़ा, प्रो० राजकिशोर ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया।

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सांसद श्री सिंह ने अपने उद्बोधन में कहा कि 26 दिसम्बर सिख इतिहास और भारतीय संस्कृति के लिए एक महत्वपूर्ण तिथि है। सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह के साहिबजादों ने साहस के साथ अत्याचारियों का सामना किया। उन्होंने कहा कि वर्तमान में खड़े हो कर अपने अतीत को जानना और याद करना देश और समाज आगे बढ़ने के लिए आवश्यक है।

श्री सिंह ने कहा कि आजादी के बाद ऐसे वीर शहीदों को लोग भूलते गये। मोदी जी के प्रधानमंत्री बनने के बाद 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस के रूप में मनाने की घोषणा हुई। आज देश भर में वीर बाल दिवस का आयोजन हो रहा है। वीर साहिबजादों ने अपनी छोटी उम्र में धर्म और सिद्धांतों की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया।

उन्होंने कहा कि उनके परिवार की शहादत को सभी श्रद्धा के साथ स्मरण करते हैं। उनके दो छोटे साहिबजादों ने निरंकुश शासक के सामने झुकने से मना कर दिया और साहस के साथ अत्याचारी का सामना किया। मुगल साम्राज्य के दौरान पंजाब में सिखों के प्रमुख गुरु गोबिंद सिंह के चार पुत्र थे, जिन्हें चार साहिबजादे खालसा के नाम से जाना जाता था।

1699 में, गुरु गोबिंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की, जिसका उद्देश्य धार्मिक उत्पीड़न से सिख समुदाय की रक्षा करना था। गुरु गोबिंद सिंह की तीन पत्नियों से चार बेटे हुए अजीत, जुझार, जोरावर और फतेह, जो सभी खालसा के सदस्य थे। दुर्भाग्यवश, मुगल सेना ने 19 वर्ष की आयु से पहले ही इन चारों की हत्या कर दी।

उनकी शहादत को सम्मानित करने के लिए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले वर्ष यह घोषणा की थी कि 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस के रूप में मनाया जाएगा। वीर बाल दिवस 26 दिसंबर सिख इतिहास में एक महत्वपूर्ण तिथि है। इस दिन का मुख्य उद्देश्य सिखों के दसवें गुरु गोबिंद सिंह जी के छोटे साहिबजादों, जोरावर सिंह और उनके छोटे भाई बाबा फतेह सिंह की बहादुरी को सम्मानित करना है।

यह निर्णय भारत सरकार द्वारा लिया गया है। इसका लक्ष्य देश के युवाओं और बच्चों को उनके अद्वितीय योगदान और कार्यों के लिए सम्मानित करना है। विचार संगोष्ठी में गुरुद्वारा प्रबंधक समिति के अध्यक्ष सतपाल सिंह छाबड़ा ने सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोविंद सिंह के धर्म की रक्षा के लिए सर्वोच्च बलिदान के साथ उनके दो छोटे साहिबजादों का निरंकुश मुगल शासक के आगे नहीं झुकने की गाथा को व्याख्यायित किया।

के०सी०टी०सी० कॉलेज के प्रो० राजकिशोर ने संगोष्ठी में अपने उद्बोधन में कहा कि 26 दिसंबर 1705 को सरहिंद के नवाज वजीर खान ने जोरावर सिंह और फतेह सिंह को खुले आसमान के नीचे कैद कर दिया। वजीर खान ने दोनों छोटे साहिबजादों को धर्म परिवर्तन के लिए कहा लेकिन दोनों साहिबजादों ने ‘जो बोले सो निहाल, सत श्री अकाल’ के जयकारे लगाते हुए धर्म परिवर्तन करने से इनकार कर दिया। वजीर खान ने दोनों साहिबजादों को जिंदा दीवार में चुनवा दिया। उक्त कार्यक्रम में सिख समुदाय के लोग के साथ बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन महामंत्री मार्तण्ड नारायण सिंह ने किया।