कल से गांव गांव में कैंडल जुलूस निकाल कर किया जाएगा लोगों को जागरूक, शशि

मोतिहारी

“बाल विवाह मुक्त भारत” विषय पर संगोष्ठी का हुआ आयोजन

Motihari, Rajan Dwivedi : कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन फाउंडेशन और कार्डस के संयुक्त तत्वावधान में “बाल विवाह मुक्त भारत” विषय पर संगोष्ठी का आयोजन पत्रकार भवन मोतिहारी में किया गया। इस अवसर पर मौजूद वक्ताओं में कार्डस के सचिव शशिभूषण प्रसाद, समाजसेवी अजहर हुसैन, गांधीवादी संजय सत्यार्थी, हामिद रजा, नारायण मजुमदार, इंजिनियर अजय कुमार, अरुण तिवारी, अशोक कुमार वर्मा, सुनीता देवी, मितु श्रीवास्तव, इमत्याज आलम आदि ने बाल विवाह जैसे ज्वलंत मुद्दे पर अपनी गहरी चिंता व्यक्त की। बताया कि नोबेल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी की राष्ट्रव्यापी “बाल विवाह मुक्त भारत” अभियान के तहत जन जागरूकता फैलाने के लिए पूर्वी चंपारण के 60 गांवों में 16 अक्टूबर को एक कैंडल जुलूस निकाला जाएगा। यह जुलूस जिले के विभिन्न गांवों में निकाला जाएगा। जुलूस का नेतृत्व बाल विवाह पीड़िताओं सहित गांव की महिला नेता करेंगी।

इस संदर्भ में, बिहार में बाल विवाह की स्थिति पर चर्चाएं हुई। बताया कि 2011 की जनगणना के अनुसार लगभग 12 लाख बच्चों की शादी 18 वर्ष की आयु से पहले कर दी गई थी। जो देश में सभी विवाहित बच्चों का लगभग 10 प्रतिशत है। राज्य को देश में तीसरा स्थान मिला है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस वी) का अध्ययन भी 2011 की जनगणना की रिपोर्ट की पुष्टि करता है। एनएफएचएस वी के अध्ययन से पता चलता है कि राष्ट्रीय स्तर पर 20-24 आयु वर्ग की 23.3 फीसद महिलाओं की शादी 18 वर्ष की आयु से पहले कर दी गई थी। ये आंकड़े राष्ट्रीय विकास पर बाल विवाह के नकारात्मक प्रभावों को प्रदर्शित करते हैं।

यह अभियान सुदूर देहाती गांवों तक पहुचेगा और वर्ष 2025 तक बाल विवाह को मौजूदा 23.3 फीसद से 10 फ़ीसद तक कम करने की योजना है। आंकड़े देश में बाल विवाह के संबंध में खतरनाक स्थिति का संकेत देते हैं। इसे देखते हुए कैलाश सत्यार्थी ने राष्ट्रव्यापी “बाल विवाह मुक्त भारत” अभियान की अपील की है। 3 साल तक चलेगा अभियान, इस पहल के तहत देश के सभी गांवों तक पहुंचने का प्रयास किया जाएगा और बाल विवाह के दुष्प्रभावों के बारे में जनता को जागरूक किया जाएगा।

वक्ताओं ने बताया कि “बाल विवाह” एक सामाजिक बुराई है। हमारे पास बाल विवाह को रोकने के लिए अच्छे कानून हैं और सरकार इसे रोकने के लिए सब कुछ कर रही है। लेकिन इस प्रथा को रोकने के लिए इसके दुष्प्रभावों के बारे में जन जागरूकता पैदा की जानी चाहिए। लोग इस बुराई को सामाजिक परंपरा के हिस्से के रूप में स्वीकार करते हैं जिसके कारण यह अस्तित्व में है। 16 अक्टूबर को होने वाले कार्यक्रम में ”टॉर्चलाइट, मोमबत्ती जुलूस का उद्देश्य लोगों को बाल विवाह की बुराइयों के बारे में जागरूक करना है। इस कुप्रथा को रोकने के लिए सरकार और आमजन को मिलकर काम करना चाहिए।