मुंगेर : समय पर वर्षा नहीं होने से खेतों में पड़ने लगीं दरारें

मुंगेर

धान की खेती के लिए सप्ताह में 30 से 40 मिलीमीटर बारिश की जरूरत, किसान हो रहे परेशान।
खेतों में पानी की कमी के कारण खेतों में दरार हो चुका है।
किसानों में धान की पौधशाला तैयार करने में लगी पूंजी भी डूबने के कगार पर है

मुंगेर,बीपी प्रतिनिधि। धान की फसल के लिए पानी भरपूर चाहिए। यदि हफ्ते-10 दिन तक बारिश नहीं हुई तो बिचड़े सुख जाएंगे और धान की खेती पर संकट पैदा हो जायेगा। प्रखंड में खरीफ फसल में सबसे ज्यादा धान की खेती होती है। इसके बाद मक्का, अरहर और ज्वार आदि की खेती की जाती है। मक्का, अरहर की खेती के लिए ज्यादा पानी की जरुरत नहीं होती है।

लेकिन धान की खेती के लिए सप्ताह में 30 से 40 मिलीमीटर बारिश की जरूरत होती है। इधर कुछ दिनों से बारिश नहीं होने से किसानों की चिंता बढ़ गयी है। जानकारों के अनुसार धान की रोपाई के लिए जुलाई का महीना महत्वपूर्ण होता है। मुंगेर में यह स्थिति बनी हुई है। प्रखंड क्षेत्र में बारिश नहीं होने से खेतों में दरारें पड़ने लगे हैं।

मुंगेर जिले के नौ प्रखंड क्रमश:
मुंगेर सदर, बरियारपुर, जमालपुर, धरहरा, असरगंज, हवेली खड़गपुर, टेटिया बंबर, संग्रामपुर, तारापुर प्रखंड के 32000 हेक्टेयर में किसान धान की खेती करते हैं। यह धान की खेती के लिए परेशानी का कारण है। किसानों ने बताया की किसी तरह से बिचड़ा तैयार तो कर लिया लेकिन रोपाई होना मुश्किल है। बोरिंग से रोपाई नहीं हो सकती है।

क्योंकि पानी का लेयर बहुत नीचे चला गया है। उन्होंने बताया कि ज्यादा गैर रैयत किसान की संख्या रहने से आर्थिक मार झेलनी पड़ती है। है। वर्षा की कमी के कारण खेतों में किसानों के द्वारा लगाए गए धान का बिचड़ा सूखने के कगार पर पहुंच चुका है।

खेतों में पानी की कमी के कारण खेतों में दरार हो चुका है। धान का बिचड़ा में वृद्धि नहीं हो पा रही है। जब धान का बिचड़े मे वृद्धि नहीं होगी तो बिचड़ा में अच्छी धान की फसल भी उपज नहीं होगी। ऐसे में किसान बरसात के नहीं हो पाने के कारण काफी चिंतित हैं। किसानों में धान की पौधशाला तैयार करने में लगी पूंजी भी डूबने के कगार पर है