बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों पर बढ़ते हमलों के बाद यूनुस सरकार ने लिया सख्त कदम

देश-विदेश

सेंट्रल डेस्क। बांग्लादेश में हिंदू समुदाय और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हो रहे लगातार हमलों के कारण देश की अंतरराष्ट्रीय साख पर गहरी छाया पड़ने लगी थी। इस गंभीर समस्या के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने सोमवार को सुरक्षा प्रमुखों से सख्त कदम उठाने का निर्देश दिया है।

google.com, pub-3161711413977012, DIRECT, f08c47fec0942fa0

उन्होंने कहा कि बांग्लादेश को धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी, अन्यथा देश की अंतरराष्ट्रीय छवि को नुकसान होगा। यूनुस का यह बयान इस समय आया है जब देश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हमले तेज हो गए थे और सरकार की आलोचनाएं भी बढ़ गई थी।

यूनुस ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया और सुरक्षा एजेंसियों के साथ एक उच्चस्तरीय बैठक आयोजित की, जिसमें पुलिस और कानून-व्यवस्था से संबंधित अन्य अधिकारियों को खास निर्देश दिए गए। उन्होंने कहा कि धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रहे हमलों पर तुरंत रोक लगाने के लिए ठोस कदम उठाए जाने चाहिए।

यूनुस ने चेतावनी दी कि अगर बांग्लादेश अपने धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा नहीं कर सका, तो यह देश के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़ी शर्मिंदगी का कारण बनेगा। हमें इस मामले में पूरी पारदर्शिता बनाए रखनी होगी और हर नागरिक के अधिकारों की हिफाजत करनी होगी।

उनका यह बयान उस समय आया है जब बांग्लादेश में हिंदू मंदिरों, उनके घरों, और उनके व्यवसायों पर लगातार हमले हो रहे थे। इन हमलों में बड़ी संख्या में धार्मिक हिंसा, तोड़फोड़, आगजनी और जानमाल का नुकसान हो रहा था। हिंदू समुदाय के लोग इन हमलों से भयभीत थे और उनके अधिकारों के उल्लंघन की घटनाएं बढ़ रही थीं।

इससे पहले, बांग्लादेश के प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे के बाद स्थिति और भी खराब हो गई थी, और इस कारण हिंदू और अन्य अल्पसंख्यकों पर हमले तेज हो गए थे। शेख हसीना के इस्तीफे के बाद राजनीतिक अस्थिरता के माहौल में बांग्लादेश के धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की घटनाओं में तेजी आई।

विशेष रूप से हिंदू मंदिरों और उनके घरों पर हमले किए गए, और कई मामलों में घरों को जलाने की घटनाएं सामने आईं। इस सबको देखते हुए यूनुस ने अपनी सरकार को कार्रवाई के लिए मजबूर किया। उन्होंने अधिकारियों से अपील की कि वे राष्ट्रीय सुरक्षा और कानून व्यवस्था की स्थिति की गंभीरता को समझें और त्वरित कार्रवाई करें।

बैठक में गृह मामलों के सलाहकार जहांगीर आलम चौधरी, मुख्य सलाहकार के विशेष सहायक खुदा बख्श चौधरी, गृह सचिव नसीमुल गनी, बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश, रैपिड एक्शन बटालियन, ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस, तटरक्षक बल और विशेष शाखा के प्रमुख अधिकारी मौजूद थे।

यूनुस ने सुरक्षा एजेंसियों को निर्देश देते हुए कहा कि देश में सुरक्षा हालात पर कड़ी निगरानी रखने के लिए एक विशेष कमांड सेंटर स्थापित किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेंसियों के बीच सही तालमेल और आधुनिक संचार साधनों का उपयोग किया जाना चाहिए, ताकि किसी भी हमले या हिंसा की स्थिति में तुरंत कार्रवाई की जा सके।

इस समय बांग्लादेश में सुरक्षा की स्थिति काफी नाजुक है। धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हमले बढ़ने से पूरे देश में असंतोष का माहौल है, और यह अंतरराष्ट्रीय समुदाय में भी चिंता का विषय बन गया है। संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठन इस स्थिति को लेकर बांग्लादेश सरकार से जवाब मांग रहे हैं।

यूनुस सरकार ने इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की बात की है, लेकिन यह देखना होगा कि उनकी सरकार इस निर्देश का कितना पालन करती है और क्या वास्तव में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को सुनिश्चित किया जाता है।

बांग्लादेश के हिंदू समुदाय और अन्य अल्पसंख्यक समूहों के लिए यह एक बड़ी उम्मीद की घड़ी है कि सरकार अब उनके सुरक्षा के लिए गंभीर कदम उठाएगी। हालांकि यह भी देखा जाएगा कि बांग्लादेश सरकार इन चुनौतियों से कैसे निपटती है, क्योंकि इस तरह की हिंसा से न केवल राष्ट्रीय स्तर पर सामाजिक तानाबाना प्रभावित होता है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी बांग्लादेश की छवि को गहरा धक्का लगता है।

बांग्लादेश की सरकार के लिए यह वक्त न केवल अपने नागरिकों की सुरक्षा को प्राथमिकता देने का है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह विश्वास दिलाने का भी है कि बांग्लादेश में धार्मिक स्वतंत्रता और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा की जाएगी।

अंततः, यह मुद्दा न केवल बांग्लादेश की आंतरिक स्थिति को प्रभावित करता है, बल्कि उसके वैश्विक रिश्तों और छवि पर भी असर डालता है। बांग्लादेश की सरकार को जल्द से जल्द इस संकट से बाहर निकलने के लिए प्रभावी कदम उठाने होंगे, ताकि धार्मिक हिंसा और अल्पसंख्यक समुदायों पर हमलों को रोका जा सके।