चंपारण : मलंग बाबा मंदिर परिसर की जमीन अतिक्रमण करने को लेकर तनाव

पश्चिमी चंपारण

सौ वर्ष पूर्व का है स्थापना इतिहास, सालों भर होते रहता है अष्टजाम व पूजा पाठ

संग्रामपुर / उमेश कुमार। मनोकामना सिद्धि के लिए उत्तर बिहार का चर्चित सिंकदरपुर मंलग बाबा मंदिर परिसर की जमीन को अगल बगल के लोगों ने अतिक्रमित कर अब उस पर नया पक्का निर्माण करने का मामला प्रकाश में आया हैं। जिसको लेकर अतिक्रमणकारियों व श्रद्धालुओ के बीच अनहोनी की आशंका जताई गई हैं।

मन्दिर परिसर की भूमि का अतिक्रमण व तनाव के बात सामने आते ही मंगलवार को सीओ सुरेश पासवान ने स्थल का दौरा किया।इस दौरान सीओ ने स्थल मौजूद श्रद्धालु विजय सिंह, पप्पू सिंह,भोला सिंह, शिवपूजन तिवारी,भीम सिंह, छोटा बाबू सिंह समेत कई लोगो से इस जमीन के वावत जानकारी ली।

श्रद्धालुओ ने बताया कि सिकंदरपुर में बनी अग्रेजों की कोठी के द्वारा 1913-17 में एक पेड़ लगा कर मंलग बाबा स्थान की स्थापना की गई थी। इसके साथ ही उसके पूजा पाठ की व्यवस्था की गई थी। जब 1917 में महात्मा गांधी को अग्रेजों से परेशान किसानों की व्यथा सुनने जलहा गांव आए थे तो उनके द्वारा भी जलहा के किसानों के साथ इस स्थान पर पूजा अर्चना किए थे।

इधर ज्यों ज्यों यहां श्रद्धालुओ की भीड़ बढ़ रही हैं, वैसे वैसे पैसे के लालच के चलते मंगलापुर के दुर्गा सिंह के पुत्रों ने मन्दिर परिसर की जमीन पर आनन फानन में पिलर के साथ नींव निकाल कर इस पर दावेदारी करने लगे हैं । जबकि यह जमीन लगभग सौ वर्षों से पूर्ण रूप से मलंग बाबा परिसर में हैं।

जिसको श्रद्धालुओ ने लगभग तीस वर्षों पूर्व से पूर्व और पशिचम से मिटी का बांध बांध कर परिसर बनाया गया हैं। लोगों ने परिसर में हो रहे निर्माण कार्य पर रोक लगाने व अतिक्रमणकरियो पर करवाई की मांग किए हैं। साथ ही एक आवेदन भी सौपा है। सीओ ने बताया कि निर्माण कार्य पर तत्काल रोक लगाते हुए दावेदारी करने वालो से भूमि से सम्बंधित कागजात मांगी गई हैं।

जबकि स्थानीय मुखिया शशि कला देवी के प्रतिनिधि नागमणि सिंह ने कहा की प्रसाशन इसकी जांच करें और करवाई करें। वहीं पूर्व मुखिया सत्य नारायण सिंह ने कहा कि धार्मिक स्थल के अगल बगल किसी का जमीन होगा इसका मतलब वह मन्दिर की भूमि कैसे ले लेगा। उन्होंने इस मामले में संलिप्त लोगों पर करवाई की मांग की।