संग्रामपुर / उमेश कुमार। पिछले दो वर्षों से प्रखण्ड कार्यालय में चौदह पंचायतों के डोंगल को प्रखण्ड अकाउंटेंट द्वारा अपने पास रख कर बिना मुखिया के जानकारी के मनमानी तरीके से ब्यापक पैमाने पर चले कमीशन खोरी का खेल प्रखण्ड के एक वरीय पदाधिकारी व अकाउंटेंट के लिए गले की हड्डी साबित हो रही है। एक तरफ सम्बंधित पदाधिकारी अपनी खुलती पोल से सकते में दिख रहे हैं । जबकि उनके इशारे पर चले इस खेल के नायक प्रभात कुमार व अकाउंटेंट जितेंद्र को जिले के वरीय पदाधिकारियों के द्वारा की जाने वाली करवाई से बचाने का असफल प्रयास जारी है।
खुद पदाधिकारी मुखिया लोगों को फोन करके या अपने ऑफिस में बुला के उनसे लिखत लेने की जुगत भिड़ा रहे हैं कि डोंगल प्रखण्ड कार्यालय में नहीं बल्कि मुखिया स्वयं अपने पास रखे हुए हैं। हालांकि कई मुखिया का दबी जुबान से कहना हैं कि प्रखण्ड के उन पदाधिकारियों के तरफ से उनको धमकाया जा रहा हैं कि यदि लिखित नहीं देंगे तो उनके पंचायत के विकास कार्यो को बाधित कर दिया जाएगा। अब सवाल यह उठता हैं पूर्व में यह हवा उठायी गयी थी कि पंचायत में कार्यरत कार्यपालक सहायकों को डोंगल चलाने नहीं आता तो तो अब पंचायतों का डोंगल कौन चलाएगा।
कार्यपालकों सहायको की माने तो वे वरीय पदाधिकारी के दबाव में अपने अपने पंचायतों के मुखिया से झूठ बोलते रहे कि उन्हें डोंगल चलाने नहीं आता।पूर्वी संग्रामपुर पंचायत व बरियरिया टोला राजपुर पंचायत में जब डोंगल के माध्यम से बिना मुखिया के जानकारी के सोलर लाइट लगाने वाली कार्यकारी एजेंसी के भुगतान के बाद जब इसकी जानकारी मुखिया लोगो को लगी तो उनके भी होश पखता हो गए।
जबकि बीपीआरओ म0 अताउल्ल हक की माने तो उनके द्वारा पदस्थापना के बाद प्रखण्ड के अकाउंटेंट को निर्देश दिया गया था कि सभी पंचायतों का डोंगल मुखिया को सौप दें लेकिन किसके दबाव में प्रखण्ड अकाउंटेंट जितेंद्र कुमार इतने दिनों तक किसके इशारे पर डोंगल से बिना मुखिया सबो के जानकारी के कार्यकारी एजेंसी को भुगतान करते रहे यहीं जांच का विषय हैं। इधर कुछ मुखिया लिखित देने से कतरा रहे तो कुछ प्रखण्ड के वरीय पदाधिकारी का फोन उठाने से परहेज करने में जुटे हैं।