BIG NEWS : देवउठनी एकादशी के बाद भी नहीं होंगे मांगलिक कार्यक्रम, जानिए कब से शुरु है शुभ मुहूर्त

धर्म

DESK : देवउठनी एकादशी पर विष्णु की निद्रा टूटेगी, लेकिन इसके बाद भी शादी-विवाह में बाधा होगी। विवाह जैसे मांगलिक कार्यक्रमों के कारक ग्रह शुक्र के अस्त होने से इस बार देवउठनी एकादशी पर शुभ मुहूर्त नहीं है। दैत्य गुरु शुक्र 21 नवंबर को उदय हो रहे हैं, इसके बाद से शादी विवाह के शुभ मुहूर्त का शुभारंभ हो जाएगा। ज्योतिष विद्वानों के मुताबिक, देवउठनी एकादशी के बाद पहला शुभ मुहूर्त 24 नंवबर को है, जबकि 15 दिसंबर को अंतिम लग्न है। इसके बाद 16 दिसंबर से मकर संक्रांति तक के लिए फिर खरमास के कारण शादी विवाह के साथ मांगलिक कार्यक्रमों पर ब्रेक लग जाएगा।

ज्योतिष विद्वानो के मुताबिक श्री हरि के शयनयान 4 महीने पहले शयन के लिए चले गए। इसके बाद शादी विवाह के साथ सभी मांगलिक कार्यक्रमों पर ब्रेक लग गया। 10 जुलाई के बाद 4 नवंबर को फिर भगवान श्री हरि निद्रा से जाग जाएंगे। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि यानी 4 नवंबर को देवउठनी एकादशी पर भगवान श्री हरि के निद्रा से जागने पर देवउठनी होगी। इसके हरि प्रबोधनी भी कहा जाता है।

सामान्य दिनों में इस खास दिन से ही मांगलिक कार्यक्रमों पर लगी 4 माह की रोक हट जाती है। इस खास तिथि के बाद से ही शहनाई गूंजने लगती है। इस बार ग्रहों की स्थितियां अलग हैं, इस कारण से देवउठनी के बाद भी शादी विवाह को लेकर शुभ लग्न नहीं है। हरि शयन एकादशी 10 जुलाई को थी और इसके बाद हरि प्रोबधनी 4 नंबर को है, इस बीच का समय शिव का माना जाता है। इस कारण ही इस दौरान शादी विवाह के साथ अन्य मांगलिक कार्यक्रमों की सनातन धर्म में मनाही है।

ज्योतिष विद्वानो के मुताबिक शुक्र को मजबूत होना शादी विवाह की सफलता का कारक है। शादी विवाह की तिथि का विचार शुक्र की स्थिति से ही होता है। ज्योतिष विद्वानों का कहना है कि शुक्र सांसारिक और वैभव के कारक हैं। एक अक्टूबर की सुबह 5 बजकर 5 मिनट से ही वह अस्त हैं। गोचर में शुक्र के अस्त होने के कारण ही वैवाहिक कार्यक्रमों की संभावना भी पूरी तरह से अस्त हो गई है।

ज्योतिष विद्वान आचार्य योगेश पांडेय के मुताबिक कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 4 नवंबर को हरि के शयन कक्ष से बाहर आने के बाद शुक्र के उदय का इंतजार करना पड़ेगा। आचार्य योगेश पांडेय के मतानुसार 21 नवंबर को सुबह भोर में 6 बजे से शुक्र का उदय हो जाएगा। शुक्र के उदय होने के साथ ही शादी विवाह का मांगलिक कार्यक्रम प्रारंभ हो जाएगा।

24 नवंबर से 15 दिसंबर तक है लग्न
ज्योतिष विद्वानों के मुताबिक इस बार देवउठनी के बजाय 24 नवंबर से शादी विवाह का शुभ मुहूर्त बन रहा है। ज्योतिष विद्वानों का कहना है कि शुक्र 21 नवंबर को उदय हो रहे हैं, इसके बाद शादी की पहली शुभ मुहूर्त 24 नवंबर को है। इसके बाद 25 से लेकर 28 नवंबर तक शादी का शुभ मुहूर्त है। इसके बाद फिर दिसंबर में शादी विवाह का शुभ मुहूर्त होगा।

दिसंबर में पहला शुभ मुहूर्त 2 दिसंबर को है। विद्वानों के मुताबिक 2 दिसंबर से लेकर लगातार 4 दिसंबर तक शादी विवाह के शुभ मुहूर्त हैं। इसके बाद 5 और 6 दिसंबर को लग्न नहीं है। इसके बाद 7 से लेकर 9 दिसंबर तक शादी विवाह का लग्न है। इसके बाद दिसंबर में 13, 14 और 15 को शादी विवाह का शुभ मुहूर्त है।

ज्योतिष विद्वानों का कहना है कि 15 दिसंबर को आखिरी शुभ मुहूर्त है, इसके बाद से 16 दिसंबर की शाम 6 बजकर 55 मिनट से खरमाश लग जाएगा। खरमास के लगते ही शादी विवाह पर फिर जनवरी तक एक माह के लिए बाधा हो जाएगी। इसके बाद फिर मकर संक्राति के बाद फिर शुभ मांगलिक कार्यक्रम से रोक हटेगी और पुन: शादी विवाह के शुभ लग्न आएंगे।