बीपी डेस्क। इस बार काशी में होली 18 मार्च को तो देश में अन्य जगह 19 मार्च को मनाई जाएगी। जबकि होलिका दहन सभी स्थानों पर 17 मार्च को ही होगा। शास्त्रीय विधान अनुसार होलिका दहन फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा की रात किया जाता है। प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा में भद्रा रहित रात्रि मान्य होती है।
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में ज्योतिष विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. विनय पांडेय के अनुसार फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा 17 मार्च को दोपहर 1.03 बजे लग रही है, जो 18 मार्च को दोपहर 12.52 बजे तक है। ऐसे में 17 मार्च को भद्रा समाप्ति के बाद रात 12.57 बजे के बाद होलिका दहन किया जाएगा।
धर्म शास्त्र अनुसार होलिका दहन के बाद सूर्योदय काल व्यापिनी चैत्र कृष्ण प्रतिपदा में रंगोत्सव मनाया जाना चाहिए। इस वर्ष प्रतिपदा 18 मार्च को दोपहर 12.53 बजे लग रही है जो 19 मार्च को दोपहर तक है। इस तरह चैत्र कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा उदया तिथि में 19 मार्च को ही मिल रही है। अत: इसी दिन देश भर में होली मनाई जाएगी। हालांकि काशी में परंपरा को मान दिया गया है जो चतु:षष्ठी यात्रा (चौदह योगिनी परिक्रमा यात्रा) से जुड़ी है।
इसमें प्राचीन काल से होलिका दहन की अगली सुबह इस यात्रा का विधान है। इसमें काशीवासी समूह में ढोल-मंजीरा के साथ गायन करते हुए अबीर-गुलाल उड़ाते चतु:षष्ठी योगिनी यात्रा करते हैं। अगली सुबह कोई भी तिथि हो, होली मनाई जाती है। अत: काशी में 18 मार्च को होली मनाई जाएगी। इससे इतर अन्य स्थानों शास्त्रीय विधान अनुसार 19 मार्च को उदयातिथि में चैत्र कृष्ण प्रतिपदा मिलने पर होली होगी।