बीपी डेस्क। आज रात से ही खरमास के महीने की शुरुआत होने जा रही है. खरमास शुरू होते ही मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं. खरमास को अशुभ माना जाता है. इस बार खरमास 14 मार्च से 14 अप्रैल तक रहेगा. इसके बाद 14 अप्रैल को सूर्य मेष राशि में प्रवेश करेंगे तब जाकर खरमास खत्म होगा.
हिंदू पौराणिक मान्यताओं के अनुसार खरमास काल में नियमों का बहुत महत्व है. 14 मार्च की रात 2.39 बजे सूर्य कुंभ से निकलकर गुरु की राशि मीन में प्रवेश करेंगे. इसके बाद 14 अप्रैल को सुबह 10.53 बजे मेष राशि में सूर्य के आते ही खरमास खत्म हो जाएगा. ऐसे में इस एक महीने के दौरान शुभ काम नहीं किए जा सकेंगे.
आइए जानते हैं क्या होता खरमास और क्या है इसका महत्व.
क्या होता है खरमास
सूर्य के धनु या मीन राशि में गोचर करने की अवधि को ही खरमास कहते हैं. सूर्यदेव जब भी देवगुरु बृहस्पति की राशि धनु या मीन पर भ्रमण करते हैं तो उसे प्राणी मात्र के लिए अच्छा नहीं माना जाता और शुभ कार्य वर्जित हो जाते हैं. बृहस्पति सूर्यदेव के गुरु हैं. ऐसे में सूर्यदेव एक महीने तक अपने गुरु की सेवा करते हैं.
धनु और मीन राशि का स्वामी बृहस्पति होता है. इन राशियों में जब सूर्य आते हैं तो खरमास दोष लगता है. ज्योतिष तत्व विवेक नाम के ग्रंथ में कहा गया है कि सूर्य की राशि में गुरु हो और गुरु की राशि में सूर्य रहते हों तो उस काल को गुर्वादित्य कहा जाता है जो कि सभी शुभ कामों के लिए वर्जित माना गया है.
खरमास में दान का महत्व
खरमास में दान करने से तीर्थ करने जितना पुण्य फल मिलता है. इस महीने में निष्काम भाव से ईश्वर के नजदीक आने के लिए जो व्रत किए जाते हैं, उनका अक्षय फल मिलता है और व्रत करने वाले के सभी दोष खत्म हो जाते हैं. इस दौरान जरूरतमंद लोगों, साधुजनों और दुखियों की सेवा करने का महत्व है. खरमास में दान के साथ ही श्राद्ध और मंत्र जाप भी किया जाता है.
नई चीजों के इस्तेमाल से बचें
खरमास में नए कपड़े, ज्वैलरी, मकान, वाहन और रोजमर्रा की जरूरी चीजों की खरीदारी कर सकते हैं. हालांकि इनके इस्तेमाल से बचें. इस महीने में नए रत्न-आभूषणों की खरीदारी तो कर सकते हैं लेकिन खरमास में इन्हें धारण नहीं करना चाहिए.
न करें ये शुभ काम
खरमास में फल प्राप्ति की कामना से होने वाले सभी कार्य जैसे किसी भी प्रयोजन के व्रत-उपवास की शुरुआत, उद्यापन, कर्णवेध, मुंडन, यज्ञोपवीत, समावर्तन (गुरुकुल से विदाई), विवाह और प्रथम तीर्थ यात्रा वर्जित मानी जाती है.