विशेष : हरतालिका तीज पूजन सामग्री एवं विधि, जानिए 5 काम की बातें…

धर्म
  • हरतालिका तीज : जानिए पूजन सामग्री की सूची एवं विधि…
  • इस रीति से करें पूजन, शिव-पार्वती देंगे अखंड सौभाग्य का वरदान……

डेस्क। भारत का प्रमुख त्योहार हरतालिका तीज व्रत भाद्रपद, शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन किया जाता है। इस दिन गौरी-शंकर का पूजन किया जाता है। यह व्रत हस्त नक्षत्र में होता है। इसे सभी कुआंरी यु‍वतियां तथा सौभाग्यवती ‍महिलाएं ही करती हैं।

इस संबंध में हमारे पौराणिक शास्त्रों में इसके लिए सधवा-विधवा सबको आज्ञा दी गई है। इस व्रत को ‘हरतालिका’ इसीलिए कहते हैं कि पार्वती की सखी उन्हें पिता-प्रदेश से हर कर घनघोर जंगल में ले गई थी। ‘हरत’ अर्थात हरण करना और ‘आलिका’ अर्थात सखी, सहेली।

इसी त्योहार को दूसरी ओर बूढ़ी तीज भी कहा जाता हैं। इस दिन सास अपनी बहुओं को सुहागी का सिंधारा देती हैं। इस व्रत को करने से कुंआरी युवतियों को मनचाहा वर मिलता है और सुहागिन स्त्रियों के सौभाग्‍य में वृद्धि होती है तथा शिव-पार्वती उन्हें अखंड सौभाग्यवती रहने का वरदान देते हैं।

हरतालिका तीज पूजन सामग्री की सूची :

  • गीली काली मिट्टी या बालू रेत।
  • बेलपत्र,
  • शमी पत्र,
  • केले का पत्ता,
  • धतूरे का फल एवं फूल,
  • अकांव का फूल,
  • तुलसी,
  • मंजरी,
  • जनैव,
  • नाडा़,
  • वस्त्र,
  • सभी प्रकार के फल एवं फूल पत्ते,
  • श्रीफल,
  • कलश,
  • अबीर,
  • चन्दन,
  • घी-तेल,
  • कपूर,
  • कुमकुम,
  • दीपक,
  • फुलहरा (प्राकृतिक फूलों से सजा)।

पार्वती माता की सुहाग सामग्री :-

  • मेहंदी,
  • चूड़ी,
  • बिछिया,
  • काजल,
  • बिंदी,
  • कुमकुम,
  • सिंदूर,
  • कंघी,
  • माहौर,
  • बाजार में उपलब्ध सुहाग पुड़ा आदि।

पंचामृत के लिए :-

  • घी,
  • दही,
  • शक्कर,
  • दूध,
  • शहद

जानें हरतालिका तीज व्रत कैसे करें :-

  • सर्वप्रथम ‘उमामहेश्वरसायुज्य सिद्धये हरितालिका व्रतमहं करिष्ये’
    मंत्र का संकल्प करके मकान को मंडल आदि से सुशोभित कर पूजा सामग्री एकत्र करें।
  • हरतालिका पूजन प्रदोष काल में किया जाता हैं। प्रदोष काल अर्थात् दिन-रात के मिलने का समय। संध्या के समय स्नान करके शुद्ध व उज्ज्वल वस्त्र धारण करें। तत्पश्चात पार्वती तथा शिव की सुवर्णयुक्त (यदि यह संभव न हो तो मिट्टी की) प्रतिमा बनाकर विधि-विधान से पूजा करें। बालू रेत अथवा काली मिट्टी से शिव-पार्वती एवं गणेशजी की प्रतिमा अपने हाथों से बनाएं।
  • इसके बाद सुहाग की पिटारी में सुहाग की सारी सामग्री सजा कर रखें, फिर इन वस्तुओं को पार्वतीजी को अर्पित करें।

शिवजी को धोती तथा अंगोछा अर्पित करें और तपश्चात सुहाग सामग्री किसी ब्राह्मणी को तथा धोती-अंगोछा ब्राह्मण को दे दें।

इस प्रकार पार्वती तथा शिव का पूजन-आराधना कर हरतालिका व्रत कथा सुनें।
तत्पश्चात सर्वप्रथम गणेशजी की आरती, फिर शिवजी और फिर माता पार्वती की आरती करें। भगवान की परिक्रमा करें। रात्रि जागरण करके सुबह पूजा के बाद माता पार्वती को सिंदूर चढ़ाएं। ककड़ी-हलवे का भोग लगाएं और फिर ककड़ी खाकर उपवास तोड़ें, अंत में समस्त सामग्री को एकत्र कर पवित्र नदी या किसी कुंड में विसर्जित करें।