कानपुर/बीपी प्रतिनिधि। यूपीसीए में लोकतांत्रिक ढंग से चुनाव कराने की की प्रक्रिया पूरी तरह से मजाक बना कर रख दिया गया है। प्रदेश संघ के पदाधिकारियों के चुनाव के नाम पर केवल खानापूर्ति पूरी कर ली गई। प्रमुख पांच पदों के लिए चुने गए सभी पदाधिकारी जबरन निर्विरोध तय कर लिए गए हैं।
उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन में 42 साल बाद होने वाले चुनाव को लेकर दो गुटों के बीच अनबन चल रही है। यूपीसीए का एक गुट चाहता है कि सदस्यों को सामने बैठा कर पदाधिकारियों को चुनाव के माध्यम से चुना जाए। वहीं यूपीसीए में पहले से ही काबिज सत्ताादल के सदस्यक चुनाव के नाम केवल आम सहमति से नियुक्ति चाहते थे।
खासी जददोजहद के बाद से ही बीसीसीआई ने संघ के चुनाव के लिए अधिकारी भी नियुक्ती कर दिया था। जिसका नॉमिनेशन जनवरी के अंतिम सप्ताह में हो गया था। इस होने वाले चुनाव में राकेश मिश्र गुट द्वारा नॉमिनेशन नही कराया गया था बल्कि चुनाव के खिलाफ हाईकोर्ट में रिट दायर की गई थी।
इधर, यूपीसीए ने सोमवार को हाईकोर्ट में अपना जवाब दाखिल किया तो वहीं बीसीसीआई से नियुक्त किए गए अधिकारी ने परिणाम ही घोषित कर दिए जिसमें सबको निर्विरोध चुना हुआ दिखाया गया। कानून के जानकार यह बताते हैं कि कोई भी मामला अगर न्यायालय में लम्बित है तो उस पर अंतिम निर्णय नही दिया जा सकता है।
हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई के बीच निर्णय चुनाव का परिणाम घोषित किया जाना भी जानकारों के मुताबिक लोकतान्त्रिक नही है। कानूनविद सुनील कुमार वर्मा ने बताया कि विपक्षी गुट चुनाव अधिकारी के इस निर्णय को हाईकोर्ट में ही चुनौती दे सकते हैं। यही नही अगर कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से सुना तो वह चुनावी प्रक्रिया को पूरी तरह से खारिज भी कर सकती है।
चुनाव अधिकारी एके जोति ने एक पत्र जारी करके मीडिया को बताया है, कि 2022 चुनाव के लिए 5 पदाधिकारियों को निर्विरोध चुना गया है। इनके खिलाफ किसी भी तरह से कोई दूसरे दावेदार द्वारा चुनाव में आवेदन नहीं आने के बाद सभी को निर्विरोध चयनित किया गया है।
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उन्होंने बताया कि चुनाव पूरी तरह से लोकतांत्रिक तरीके से सम्पन्न कराए गए है। आवेदन के लिये 27 से 29 जनवरी तक का समय दिया गया था। 12 से 14 फरवरी तक वोटिंग और काउंटिंग होनी थी। 15 को चुनाव के परिणाम की घोषणा की जानी थी।