रंगोत्सव: शाहाबाद को समझने के लिए डुमरांव के गढ़ को समझना होगा..
नवग्रहों का गढ़, डुमरांव का गढ़…….. Buxar,BP : कहते है कि आज़ादी के 70 साल पहले भारतेंदु हरिश्चंद्र बलिया के ददरी मेला में नाटकों का मंचन करने के बाद डुमरांव गढ़ पर नाटक का मंचन किये थे, तबसे आज तक डुमरांव का गढ़ शाहाबाद का सांस्कृतिक केंद्र बना रहा। ‘गढ़ ‘में अब तो कुछ सरकारी […]
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