Purnia, Rajesh Kumar Jha: बिहार में छठ पूजा की एक अलग ही महिमा है,छठी मईया पर लोगों की इतनी आस्था है कि सभी लोग चाहे वो महिला हों,पुरुष हों या बच्चे एवं बूढ़े सभी कोई पूरे तन-मन से इसकी पूजा करते है.कहते है कि जैसे ही दुर्गापूजा समाप्त हुआ कि पूरा बिहार छठ पूजा की तैयारी में लग जाता है.सबसे बड़ी बात जो छठ नही करते है,वो किसी दूसरे को सूप देकर छठ पूजा करते है
इस पर्व में छोटा हो या बड़ा,गरीब हो या अमीर हर कोई आस्था के इस महान पर्व में पूरे तन-मन से कन्धे से कंधा मिलाकर एक दूसरे का साथ देते है.बिहार सरकार भी इस पूजा में बढ़-चढ़ कर सहयोग करती है.पूर्णिया जिले में इसबार सभी घाटों में छठ पूजा के लिए जिला प्रशासन ने साफ-सफाई से लेकर स्वच्छता तक सभी तरह की पूरी व्यवस्था कर रखी थी.व्यवस्था इतनी जबरदस्त थी कि किसी भी छठव्रती एवं श्रद्धालु को कोई भी तरह की परेशानी नही हुई,साफ-सफाई से लेकर सुरक्षा तक कि लोगों ने मुक्तकंठ से प्रशंसा की.बहुत ही अच्छे तरीके से लोगों ने सभी घाटों में छठ की पूजा की,लेकिन छठ पूजा के समाप्त होते ही लोगों ने किसी भी घाटों को दुबारा मुड़कर भी नही देखा की जहां हमलोग आज छठपूजा किये है, क्या कल वहाँ दोबारा छठपूजा नही करेंगे,क्या सिर्फ पूजा करने भर तक ही इस घाट की हमे जरूरत थी,ऐसे न जाने कितने ही सवाल छठपूजा के बाद सभी घाटों में देखने को मिलते है,
जिसका जवाब शायद किसी के पास न हो,आपको बता दें कि जैसे ही छठपूजा का समय आता है,लोग जिला प्रशासन को घाट की साफ-सफाई के लिए कहना शुरू कर देते है,जिला प्रशासन भी इसे अपनी जिम्मेदारी समझते हुए अपना काम करना शुरू कर देती है,लेकिन क्या साफ-सफाई सिर्फ जिला प्रशासन की ही जिम्मेदारी है,क्या आम लोगों की कोई भी जिम्मेदारी नही है,क्या लोग अपने घर को छठपूजा के समय साफ-सफाई नही करते है,बस थोड़ी सी मानसिकता ही तो बदलने की जरूरत है,अगर सभी लोग छठपूजा करने के बाद अपने-अपने घाटों की थोड़ी बहुत भी सफाई कर देते तो आज छठपूजा के बाद जो घाटों की स्थिति है,शायद वो नही दिखती.