बनारस में गंगा नदी के बाद पश्चिम चम्पारण जिला के हरहा नदी में पाई गई अमेज़न की सकर्माउथ कैटफिश

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Bettiah/Awadhesh Kumar Sharma : दक्षिण अमेरिका के अमेज़न नदी में बहुतायत पाई जाने वाली सकर्माउथ कैटफिश के भारत मे पाए जाने से भारतीय पारिस्थितिकी पर खतरा का बादल मंडराने लगा है। बनारस में गंगा नदी के उपरांत पश्चिम चम्पारण जिला के हरहा नदी में दक्षिण अमेरिका के अमेजन नदी में पाई जाने वाली मांसाहारी सकर्माउथ कैटफिश के पाए जाने पर पर्यावरणविदों ने चिंता व्यक्त किया है।

बनारस के गंगा नदी के बाद पश्चिम चम्पारण के हरहा नदी में मिली सकरमाउथ कैटफिश मछली ने लोगों को हैरत में डाल दिया है। हरहा नदी में बनचहरी गांव के पास बुधवार को मछली का शिकार करने वाले मछुआरों के जाल अजीबोगरीब मछली मिली, जिसकी चर्चा पर उसको देखने के लिए लोगों का तांता लग गया। वीटीआर के साथ काम करने वाले संस्था डब्ल्यूटीआई और डब्ल्यूडब्ल्यूएफ इस मछली को देखकर हैरत में है। नदी के सामने एक नया संकट मछली के रूप में आया जो यहां हजारों किलोमीटर दूर दक्षिण अमेरिका की अमेज़न नदी में पाई जाती है। मछली का नाम सकर्माउथ कैटफिश है।

डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के एरिया कोऑर्डिनेटर कमलेश मौर्या ने बताया कि यह चिंता का विषय है। क्योंकि यह मांसाहारी है । चंपारण के नदियों के लिए यह खतरनाक है। मछली हरहा नदी में मिली है । लेकिन इसका घर भारत के नदिया नहीं बल्कि यहां से हजारों किलोमीटर दूर अमेरिका की अमेज़न नदी में है। डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के एरिया कोऑर्डिनेटर कमलेश मौर्य और डब्ल्यूटीआई के सुब्रत लेहरा ने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि यह मछली मांसाहारी है और अपने इकोसिस्टम के लिए खतरा भी है। अजीब से मुंह वाली मछली साउथ अमेरिका के अमेजॉन नदी में हजारों किलोमीटर दूर पाई जाती है। इन लोगो ने दावा किया है कि स्थानीय नदियों के पारिस्थितिकी तंत्र का यह मछली विनाश कर सकती है।

आईओ पर्यावरण विदों ने चिंता व्यक्त करते हुए, पारिस्थितिकी के लिए उपर्युक्त मछली मांसाहारी है और अपने इकोसिस्टम के लिए खतरा भी है। अजीब से मुंह वाली मछली साउथ अमेरिका के अमेजॉन नदी में हजारों किलोमीटर दूर पाई जाती है। इन लोगो ने दावा किया है कि नदियों के पारिस्थितिकी तंत्र का यह मछली विनाश कर सकती है।