स्टेट डेस्क: बिहार के नालंदा जिले में शनिवार को छह लोगों की जहरीली शराब पीने से मौत हो गई. चूंकि बिहार में शराबबंदी है और नालंदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का गृह जिला है, ऐसे में मामले पर विवाद शुरू हो गया है. विपक्ष के साथ-साथ सहयोगी दल के नेता भी इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री को घेर रहे हैं. इसी क्रम में प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और एनडीए घटक दल हम के अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने शराबबंदी कानून को लेकर बड़ा बयान दिया है.
नालंदा जहरीली शराब कांड पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि शराब पर इतनी बार बोल चुका हूं कि अब इस पर बोलना बेईमानी लगता है. बोलने पर विवाद हो जाता है. लेकिन सीएम नीतीश पता नहीं क्यों इस बात को नहीं समझ पा रहे हैं. उन्होंने इसे प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया है. कृषि कानून को जब पीएम नरेंद्र मोदी वापस ले सकते हैं, तो शराब की नीति पर समीक्षा न करना यह कहां की बात है. समीक्षा करना ही उचित होगा.
उन्होंने कहा कि बिहार में कहां जहरीली शराब से मौत नहीं हुईं हैं. शराब बनाने में केमिकल का लोग यूज करते हैं, जो कमजोर वर्ग के हैं, जिन्हें खाना मिला नहीं, लेकिन वे शराब पीने का आदी हैं तो ऐसे में वे पी लेते हैं, जिससे उनकी मौत हो जाती है. गुजरात में तो बिहार से पहले शराबबंदी लागू किया गया है. वो महात्मा गांधी का जन्मस्थल है. ऐसे में गुजरात मॉडल भी अगर सरकार अपना ले तो उचित होगा. पूर्ण शराबबंदी करना यह सिर्फ कह सकते हैं, प्रैक्टिकल रूप से ये कर नहीं सकते है.
मांझी ने कहा, ” हजारों सेना के जवान हैं, जो शराब पीते हैं, एक ढंग से पीते हैं. वहीं, हमने पहले भी कहा कि रात 10 बजे के बाद बड़े-बड़े लोग सोने के समय मे शराब ले रहे हैं, तो उनको कौन जान रहा है. लेकिन जो गरीब तबके के लोग हैं, अज्ञानतावश पेट में खाना देने के बदले है, शराब पी ले रहे हैं. उन्हें पुलिस पकड़ लेती है. 1991 शराब नीति में प्रावधान है कि कोई भी व्यक्ति शराब पीकर सार्वजनिक स्थान पर नहीं जा सकता है, न किसी से झगड़ा कर सकता है. अब तो सुप्रीम कोर्ट भी कह रही है कि जमानत का नंबर आने में ही समय लग जा रहा है. ऐसे में इस पर नीतीश कुमार को सोचना, समझना और विचार करना चाहिए.”