स्टेट डेस्क: स्कूलों में दिया जाने वाला मिड डे मिल अब सिर्फ पेट भरने के लिए नहीं होगा। बच्चों का मिल अब पोषण से भरपूर होगा। इसके लिए राज्य का शिक्षा विभाग भी बिहार कृषि विश्वविद्यालय और समाज कल्याण विभाग के पोषण वाटिका अभियान से जुड़ गया है।
पहले चरण में स्कूली बच्चों को पोषण युक्त खाद्य सामग्री की जानकारी दी जाएगी। साथ ही उन्हें घर में भी इसे अपनाने की सलाह दी जाएगी। आगे स्कूलों में भी पोषण वाटिका का निर्माण होगा। अभी यह अभियान सिर्फ आंगनबाड़ी केन्द्रों में चल रहा है।
केन्द्र सरकार ने मिड डे मिल योजना का नाम बदलकर पीएम पोषण शक्ति निर्माण योजना कर दिया है। उसी के तहत शिक्षा विभाग ने यह नई पहल यूनिसेफ के सहयोग से चल रही अंकुरण योजना के विस्तार के रूप में किया है। विभाग ने अपने इस अभियान के प्रचार के लिए बिहार कृषि विश्वविद्यालय और राजेन्द्र केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय से विशेषज्ञों की टीम की मांग की है।
बीएयू के प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ. आरके सोहाने ने टीम के सभी सदस्यों का नाम शिक्षा विभाग को भेज दिया है। अभियान के तहत छोटी फिल्में और जिंगल के माध्यम से बच्चों को इसकी जानकारी दी जाएगी। इसके अलावा स्कूलों में पोषण वाटिका का निर्माण, पोषण स्वास्थ्य आधारित शिक्षा, आहार विविधता की जानकारी, सहभागिता सत्र, बच्चों के स्वास्थ्य की जांच आदि गतिविधियों का संचालन करना है।
शिक्षा विभाग के इस काम में तकनीकी सहयोग दोनों कृषि विश्वविद्यालयों को देना है। यह अभियान राज्यभर के सभी स्कूलों में चलेगा। स्कूल बंद रहने पर भी बच्चों को छोटी फिल्मों के माध्यम से जागरूक करने का प्रयास चलता रहेगा।
राज्य के चार जिलों के आंगनबाड़ी केन्द्रों में कुपोषण दूर करने के लिए पोषण वाटिका का कार्यक्रम शुरू हुआ था। कोराना काल में शुरू हुई योजना बहुत सफल रही तो केन्द्र सरकार ने इसका विस्तार राज्य के सभी आंगनबड़ी केन्द्रों में करने का फैसला किया है। अब नई व्यवस्था में इस योजना से आंगनबाड़ी केन्द्रों के साथ स्कूलों को भी जोड़ा गया है।