स्टेट डेस्क/ लखनऊ। प्री -पैक और प्री-लेबल वाले खाद्यान्न आवश्यक वस्तुओं पर 5% जीएसटी का विरोध तेज होता जा रहा है। हाल ही में जो जीएसटी कॉउन्सिल ने फैसला लिया उससे देश के व्यापारिक समुदाय, खाद्यान्न एवं एपीएमसी एसोसिएशनों इसका विरोध कर रहा है। उनका कहना है कि निर्णय वापस नहीं हुआ तो व्यापारी देश के हर राज्य में जोरदार प्रदर्शन करेंगे अगर सरकार अपने निर्णय को वापस नहीं लेती है तो निकट भविष्य में खाद्यान्न व्यापार के भारत बंद का एलान करेंगे।
कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ने जीएसटी काउंसिल,केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एवं सभी राज्यों के वित्त मंत्रियों से यह निर्णय वापस लेने की अपील की है। निर्णय जीएसटी कॉउन्सिल में अंतिम रूप से वापिस नहीं हो जाता तब तक इस निर्णय को स्थगित रखा जाए। देश भर के खाद्यान्न व्यापारी संगठनों के व्यापारी नेता इस मुद्दे पर एक संयुक्त रणनीति बनाने के लिए लगातार आपस में बातचीत कर रहे हैं।
वही कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भरतिया एवं राष्ट्रीय सचिव पंकज अरोरा ने इस निर्णय के लिए राज्यों के वित्त मंत्रियों को जिम्मेदार ठहराया। सभी राज्यों के वित्त मंत्री कॉउन्सिल के सदस्य है। इस निर्णय आम लोगों पर मॅहगाई का बोझ पड़ेगा। आगे उन्होंने कहा कि विरोध के पीछे तर्क यह है कि सरकार कुछ वस्तुओं पर केवल 28 प्रतिशत वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) वसूल कर रही है, ताकि कृषि उपज को जीएसटी से बाहर रखने के बदले राजस्व नुकसान की भरपाई की जा सके।
बता दे अब तक दिल्ली, महाराष्ट्र, राजस्थान, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, ओडिशा में राज्य स्तरीय बैठक हो चुकी हैं । अगले सप्ताह पश्चिम बंगाल, केरल, गुजरात, उत्तर प्रदेश में व्यापार जगत के नेता मिलेंगे। राज्य के वित्त मंत्री खाद्यान्न और अन्य वस्तुओं में काम करने वाले छोटे निर्माताओं और व्यापारियों के हितों की रक्षा करने में विफल रहे हैं।
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