सेंट्रल डेस्क। जीएसटी के प्रावधानों को कन्कफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने सरल बनाने की मांग की है। यदि जल्द ही इस पर सुनवाई नहीं की गई तो राष्ट्रीय आंदोलन छेड़ा जाएगा। कैट के पदाधिकारियों ने मांग की है कि जीएसटी कर प्रणाली की नए सिरे से समीक्षा कर कानून और नियमों को सरल व तार्किक बनाया जाए।
आज कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया और राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने नई दिल्ली में यह घोषणा करते हुए कहा की जीएसटी को लेकर व्यापारियों के सब्र का बांध अब टूट चुका है। सभी राज्यों के वित्तमंत्रियों ने मिल कर बिना सोचे-विचारे और व्यापारियों से कोई सलाह किए बिना जिस तरह जीएसटी के मूल स्वरूप को विकृत किया है। लग रहा है कि कर प्रणाली को सरल बनाने तथा कर दायरे को विकसित करने में काउंसिल की कोई रूचि नहीं है। पीएम के आम आदमी के जीवन को सरल बनाने और ईज ऑफ डूइंग विजनेश के घोषित उद्देश्यों के खिलाफ है।
देश की अधिकतम आबादी रोजमर्रा की चीजों को जीएसटी कर दायरे में लाने के जीएसटी काउंसिल के फैसले सामंतवादी सोच का परिचायक है। इससे आम आदमी पर महंगाई का बोझ और बढ़ेगा। व्यापारियों पर लगातार कर पालन का बोझ भी बढ़ जाएगा। सरकारों को अधिक राजस्व मिले। इसके लिए जीएसटी के क़ानून एवं नियमों की नए सिरे से पूर्ण समीक्षा की जाए ।
देशव्यापी आंदोलन की शुरुआत 26 जुलाई को भोपाल से होगी। कैट के पंकज अरोरा ने यह जानकारी दी। इस राष्ट्रीय आंदोलन में देश के 50 हजार से ज्यादा व्यापारी संगठन भाग लेंगे। देश के प्रत्येक राज्य में व्यापारियों द्वारा अपने राज्य में सघन आंदोलन होगा और सभी राज्यों में बड़ी रैलियां होंगी। सितंबर में दिल्ली में भी एक बड़ी राष्ट्रीय रैली होगी ।
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