कानपुर/बीपी प्रतिनिधि। खेल विभाग की तीसरे नम्बर की अधिकारी की खेल के प्रति उदासीनता कहें या फिर जानकारी का अभाव वह किसी भी आरटीआई के लिए दाखिल किए गए याचिका का जवाब अपने स्तर से देने में कोताही बरतती हैं। बीते दो सालों से ग्रीनपार्क स्थित उनके कार्यालय में हजारों की तादाद में आरटीआई की याचिका आयी जिसमें से एक भी जवाब उपनिदेशक खेल मुद्रिका पाठक ने नही दिया।
कई शिकायतों को भेजने के बाद भी याचिककर्ताओं को जवाब नही मिलने पर अब खेल प्रेमियों ने मुख्यमन्त्री पोर्टल पर शिकायत दर्ज करवायी है। मामला मुख्यमंत्री पोर्टल पर पहुंचने से खेल प्रेमियों में खिलाडियों के साथ न्याय होने की उम्मीद जताई है। गौरतलब है वह याचिकाकर्ता और आरटीआई मांगने वालों को ही झूठे मुकदमें में फंसाने की धमकी भी देती है।
बीते साल अगस्त महीने में नगर के खेल संघों ने उनके खिलाफ आरटीआई दाखिल कर अनियमितताओं को जांचने की मांग रखी थी और जिला प्रशासन से उनको यहां से हटाए जाने की भी मांग रखी थी। अभी बीते दिन पूर्व भी आर्यनगर निवासी एक खेल समर्थक ने मुख्यमंत्री पोर्टल के साथ ही राज्य सूचना आयोग में भी उनके खिलाफ आरटीआई की सूचना न देने की शिकायत दर्ज करवायी थी जिसकी सुनवाई राज्य सूचना आयोग मे 19 जुलाई को लम्बित है।
इस बार तीन महीनों के भीतर ही लगभग 5 आरटीआई दाखिल करने वाले परमट निवासी एक खेल प्रेमी ने मुख्यमंत्री पोर्टल में शिकायत दर्ज करवायी है कि उनके द्धारा दाखिल की गयी आरटीआई का जवाब ही उपनिदेशक खेल की ओर से प्रेषित नही किया गया। मुख्यमंत्री पोर्टल में दर्ज करवायी गयी शिकायतों में प्रमुख रूप से ग्रीनपार्क का स्क्रैप बिना जैम पोर्टल में पंजीकृत करवाए ही कबाडी को बेचे जाने की है। यही नही खेल समर्थकों ने खेल को बढावा देने के बजाए खिलाडियों की संख्या में आयी कमी पर और प्रशिक्षकों की भर्ती पर भी जवाब आरटीआई के माध्यम से ही मांगा है जिसका जवाब उपनिदेशक खेल ने अभी तक नही दिया है।
मुख्यमंत्री पोर्टल में दर्ज की शिकायतों पर अगर अमल किया गया तो खिलाडियों को उनका हक मिलना संभव होगा।
वर्जन-उपनिदेशक खेल मुद्रिका पाठक की हठधर्मिता और खेल के प्रति उदासीनता से खिलाडियों का ही नुकसान संभव है। वह आरटीआई का जवाब अपनी ओर से नही दे रही हैं ये सरासर कानून गलत है। इसका परिणाम सूचना आयोग ही तय करेगा। राजेन्द्र वर्मा टेनी-पूर्व-हॉकी खिलाडी।