स्टेट डेस्क: पटना के गायघाट स्थित महिला रिमांड होम मामले में सोमवार को पटना हाईकोर्ट ने सुनवाई की। चीफ जस्टिस संजय करोल और जस्टिस एस कुमार की बेंच ने राज्य सरकार को फटकार लगाई। केस की वकील और महिला विकास मंच की लीगल एडवाइजर मीनू कुमारी के अनुसार, सोमवार को हुई सुनवाई में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से रिप्लाई मांगा।
उनसे पूछा कि सरकार की तरफ से क्या कार्रवाई की गई है? कोर्ट ने पूछा कि आपने कोई एक्शन लिया या नहीं? इस पर सरकार का पक्ष रखते हुए महाधिवक्ता ललित किशोर ने कहा कि अभी इसमें एक्शन नहीं हुआ। हम एक बार पीड़िता की बातों को सुन लेंगे तो उसके बाद एक्शन लेंगे। इस पर हाईकोर्ट ने फटकार लगाई और पूछा कि अब तक इस मामले में कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई? वकील मीनू कुमारी के अनुसार, राज्य सरकार की तरफ से बातों को कोर्ट में किसी तरह से घूमा दिया गया है।
उन्होंने बताया, ‘आज की कार्रवाई के बाद अब 11 फरवरी की नई तारीख मिली है। इस दिन पीड़िता भी ऑनलाइन कोर्ट की कार्रवाई के दौरान मौजूद रहेगी। वो अपनी बात बताएगी। अब इस मामले में कोई भी एक्शन कोर्ट के आदेश पर ही होगा। क्योंकि, राज्य सरकार इस मामले में सिर्फ जांच चलने की बात कह रही है। इस मामले में CJM के पास पीड़िता का बयान हो चुका है। समाज कल्याण विभाग भी अपने यहां बुलाकर बयान ले चुका है। अपने हिसाब से पूछताछ कर चुका है।’
अब सवाल उठ रहा है कि राज्य सरकार इस मामले में कितना जांच करवाना चाहती है? समझ में यह नहीं आ रहा है कि सरकार और उनके अधिकारी इसमें अब क्या जांच करना चाहते हैं? वो क्या देखना और सुनना चाहते हैं? महिला वकील ने सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार के रवैये से ऐसा लग रहा है कि वो अपने किसी अधिकारी या चहेते को बचाने में लगी है। अब 11 फरवरी की कार्रवाई से ही हमें इस मामले में आगे के एक्शन का पता चलेगा।
पूर्व IPS अमिताभ दास के दावों पर वकील मीनू कुमारी ने कहा कि उनके पास अगर कोई सूचना है तो कोर्ट को असिस्ट कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें एक इंटरवीन पिटीशन दाखिल करना चाहिए। अभी तक तो कोर्ट पूरी तरह से रिकॉर्ड के आधार पर चल रहा है। हम लोग महिला विकास मंच का भी इंटरवीन पिटीशन आज दाखिल कर देंगे। इस पिटीशन में हमने रिमांड होम की सारी गड़बड़ियों को दर्शाया है। अमिताभ दास के पास भी अगर कुछ है तो दाखिल करें।
दूसरे इंटरवीन पिटीशन के जरिए हमने कोर्ट के सामने सोशल ऑडिट कराने की मांग रखी है। TIS या किसी भी सोशल इंडिपेंडेंट एजेंसी के जरिए यह ऑडिट कराई जाए। इसमें हाईकोर्ट के सुपरविजन में SIT बनाकर जांच कराने की मांग रखी गई है। कमेटी में वकील, महिला विकास मंच की सदस्य सहित इंडिपेंडेंट लोग शामिल हों। ताकि रिमांड होम की गतिविधियों और वहां चल रहे कारनामों की निष्पक्ष जांच हो। अधिकारियों के सांठगांठ का खुलासा हो। इस पिटीशन में बांग्लादेश और दरभंगा की कुछ लड़कियों का जिक्र है, वह वर्तमान में कहां है? इसका फिजिकल वैरिफिकेशन कराने की मांग की गई।