बीपी डेस्क। दिल्ली में 8 अप्रैल 1929 में असेंबली हॉल में बम फोड़ने वालों में बटुकेश्वर दत्त को भगत सिंह के साथ गिरफ्तार किया गया था। बटुकेश्वर दत्त पश्चिम बंगाल के एक गांव में पैदा हुए लेकिन उनका बचपन और जवानी कानपुर के कराचीखाने में बीता। उन्होंने पीपीएन डिग्री कॉलेज से ही स्नातक किया था।
मॉल रोड पर अंग्रेज अपने परिवार के साथ घूमने आया करते थे। भारतीयों को वहां जाने पर रोक थी। बटुकेश्वर दत्त 12 साल के रहे होंगे जब वह मॉल रोड पर घूमने चले गए। उसी समय एक अंग्रेज सिपाही ने उनको छड़ी से पीट दिया था। उस दिन उन्हें गुलामी का अहसास हुआ और अंग्रेजी हुकूमत के प्रति नफरत बढ़ती चली गई। साल 1924 के शुरुआती महीनों में भगत सिंह की मुलाकात बटुकेश्वर दत्त से कंपनी बाग स्थित सुरेश दादा की मेस में हुई थी। दोनों क्रांतिकारियों ने 1924 में गंगा में आई बाढ़ में कल्याणपुर स्थित बाढ़ पीड़ित कैंप में तरुण संघ के साथ मिलकर पीड़ितों की मदद की थी। सुरेश दादा की मेस में विजय बाबू, जयदेव, भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त समेत कई क्रांतिकारी एक साथ रहते थे। भगत सिंह भी यहां आकर रुकने लगे थे।
असेंबली में बम कांड में पकड़े जाने पर जेल के भीतर समुचित सुविधाएं न मिलने पर भगत सिंह के साथ बटुकेश्वर दत्त ने भी भूख हड़ताल की घोषणा की थी। जेल में दोनों क्रांतिकारियों को अलग-अलग बैरक में रखा जाता था। एक दूसरे को दोनों लोग अदालत में पेशी के दौरान ही देख पाते थे। देश की आजादी के बाद आसनसोल की अंजलि दत्त के साथ नवंबर 1947 को बटुकेश्वर दत्त का विवाह हुआ था। शादी के बाद वह पटना में रहने लगे थे, लेकिन अकसर कानपुर आते थे। 29 जुलाई 1965 को नई दिल्ली के एक अस्पताल में उनकी मौत हो गई थी।