कानपुर/बीपी प्रतिनिधि। उत्तर प्रदेश सरकार में एमएसएमई मंत्री राकेश सचान के खिलाफ आर्म्स एक्ट के एक मामले में एसीएमएम तृतीय कोर्ट में फैसला आना है। पेशी पर पहुंचे के बाद उनकी तबीयत अचानक बिगड़ गई और उन्हें वहां से ले जाया गया। राकेश सचान के वकील की ओर से गवाह पेश करने का प्रार्थना पत्र दिया गया है।
शनिवार को अवैध असलहा मामले में सुनवाई के दौरान अपर मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट तृतीय की कोर्ट में पेशी पर पहुंचे मंत्री राकेश सचान की अचानक तबीयत बिगड़ गयी। नौबस्ता थाने में 1991 में दर्ज आर्म्स एक्ट के मामले में कोर्ट सुनवाई थी और फैसला सुनाया जाना था। नौबस्ता थाने के थानाध्यक्ष ब्रजमोहन उदेनिया ने 13 अगस्त 1991 को आर्म्स एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कराया था, जिसमें मंत्री राकेश सचान को आरोपित किया था। राकेश सचान के पास से पुलिस को एक राइफल पर मिली थी। पुलिस के मुताबिक नौबस्ता में छात्र नेता उपेंद्र सचान की हत्या हुई थी। घटना में प्रयोग के लिए राइफल को लाया गया था।
अपर मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट तृतीय आलोक यादव की कोर्ट में आर्म्स एक्ट का मामला विचाराधीन था और शनिवार को फैसला आना था। अभियोजन अधिकारी रिचा गुप्ता ने बताया कि मामला निर्णय पर है और अभी तक कोई फैसला नहीं आया है। बचाव पक्ष की तरफ से कोई प्रार्थना पत्र उन्हें रिसीव नहीं कराया गया है।
एमएसएमई मंत्री राकेश सचान के वकील की ओर से दिया गया प्रार्थना पत्र कोर्ट ने यदि स्वीकार कर लिया तो एक बार फिर से बहस शुरू हो सकती है। कोर्ट में मंत्री राकेश सचान के मामले को लेकर सुबह से हलचल बनी रही।
कानपुर के किदवई नगर के रहने वाले राकेश सचान ने अपनी राजनीति की शुरुआत समाजवादी पार्टी से की थी। 1993 और 2002 में वह घाटमपुर विधानसभा सीट से विधायक रहे और 2009 में उन्होंने फतेहपुर लोकसभा सीट से चुनाव जीता था। राकेश सचान मुलायम सिंह और शिवपाल सिंह के बेहद करीबी माने जाते थे। फिलहाल फिर उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया था। वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले पूर्व सांसद राकेश सचान कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे। भाजपा ने राकेश सचान को कानपुर देहात की भोगनीपुर विधानसभा सीट से प्रत्याशी बनाया था और उन्होंने सपा के नरेंद्र पाल सिंह को हराकर जीत हासिल की थी।