कानपुर/ बीपी प्रतिनिधि। सतयुग और त्रेता के संधिकाल में वैसाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को पुनार्वेषु नक्षत्र व प्रदोष काल मे महान शिव भक्त भृगुकुल शिरोमणि महर्षि परशुराम जी का अवतरण हुआ था। समाज को शास्त्र और शस्त्र के समन्वय का अनूठा सूत्र देने वाले भगवान परशुराम ऋषियों के ओज और क्षत्रियों के तेज दोनो का अदभुत संगम माने जाते है।
परशुराम जी की गणना महान पितृभक्त में होती है। उनका समूचा जीवन अनुपम प्रेरणाओं व उपलब्धियों से भरा हुआ है। परशुराम ने ही द्वापर युग मे भीष्म द्रोणचार्य व कर्ण को भी युद्ध विद्या का महारथी बनाया था। अक्षय तृतीया को जन्म लेने के कारण उनकी शास्त्र शक्ति भी अक्षय और शास्त्र संपदा भी थी।
इस दिन पूरे देश मे भगवान परशुराम की जयंती बड़े ही धूमधाम से मनाई गई है। कानपुर जनपद में भगवान परशुराम की जयंती पर धार्मिक कार्यक्रमो का आयोजन किया जाता है।
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