कानपुर/बीपी प्रतिनिधि। 10 जुलाई को बकरीद है। शहर में हुई हिंसा के कारण अब तक बाजार नहीं लग रहे है। ऐसा पहली बार है कि गांवों के बकरा व्यापारी फेरी लगाकर बिक्री करने को मजबूर हैं। बाजार लगने पर संदेह की वजह से खरीदार भी इन्हें अच्छी कीमत दे रहे हैं। नई सड़क पर सबसे ज्यादा हिंसा हुई थी और यहीं बकरा बाजार लगता था।
हलीम कॉलेज ग्राउंड पर बड़े जानवरों का बाजार लगता रहा है लेकिन यहां भी पहल नहीं हुई है। शहर में औसतन दो लाख से ज्यादा बकरों की बिक्री होती है।
तलाकमहल में फेरी लगाने वालों का कहना है कि वह कानपुर देहात से 12 जानवर लेकर आए थे। अब सिर्फ पास दो जानवर बचे हैं।
नगर में जानवरों की बिक्री के लिए बाहरी जनपदों के गांवों से बड़ी संख्या में व्यापारी आते हैं। इसमें सबसे ज्यादा इटावा और औरैया, बाहरी राज्यों में राजस्थान व गुजरात से बड़ी संख्या में जानवर बिक्री के लिए आता है। शहर के बीच बड़े जानवरों का बाजार बकरीद से चार-पांच दिन पहले लगता है। जाजमऊ और बाबूपुरवा में कुछ स्थानों पर बड़ा जानवर लाकर बिक्री की जा रही है।