सेंट्रल डेस्क: दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि वाहन दुर्घटना में मारे गए व्यक्ति के कानूनी वारिस (प्रतिनिधि) भी मुआवजा पाने के हकदार हैं। हाईकोर्ट ने हादसे में मारे गए व्यक्ति के पहली शादी से हुए दो बच्चों को मुआवजा दिए जाने को सही ठहराते हुए यह टिप्पणी की है।
जस्टिस संजीव सचदेवा ने वाहन दुर्घटना दावा पंचाट द्वारा 22 मार्च, 2021 को मृतक के पहले शादी से हुए दो बच्चों को मुआवजा देने के आदेश के खिलाफ बीमा कंपनी की अपील को ठुकराते हुए यह फैसला दिया है।
कंपनी ने अपील में कहा था कि पहली शादी से हुए दो बच्चों को मृतक के परिवार का आश्रित नहीं माना सकता है। दूसरी तरफ हाईकोर्ट को बताया गया कि बच्चे पिता के साथ रह रहे थे, ऐसे में वे मुआवजा पाने के हकदार हैं।
हाईकोर्ट ने कहा है कि जहां तक मुआवाजे का सवाल है तो सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि भारतीय समाज की स्थिति को देखते हुए वाहन दुर्घटना में मृतक के कानूनी प्रतिनिधि भी मुआवजा पाने के हकदार हैं।
हाईकोर्ट ने कहा है कि उक्त फैसले में, सुप्रीम कोर्ट ने यह भी माना कि एक भारतीय परिवार में भाई-बहन और भाइयों के बच्चे और कभी-कभी पालक बच्चे एक साथ रहते हैं और वे परिवार के कमाने वाले पर निर्भर होते हैं और अगर रोटी कमाने वाले की मोटर वाहन दुर्घटना मौत हो जाती है तो उन्हें मुआवजे से इनकार करने का कोई औचित्य नहीं है।