Desk : चार महीने से बंद पड़े मांगलिक कार्य भगवान विष्णु के जगने के साथ शुक्रवार से शुरू हो जाएंगे। प्रभु चार माह की योग निद्रा से उठ जाएंगे तो हर ओर उत्साह छा जाएगा। मांगलिक कार्यक्रमों की धूम मच जाएगी। देवोत्थान एकादशी को मनाने की तैयारी पूरे नगर में की गयी है। भक्तों ने सुबह से ही गन्ने और फलों के साथ ही मिष्ठान और हरी सब्जियों का भोग लगाकर भगवान विष्णुं के साथ ही तुलसी की भी पूजा अर्चना की। आज के ही दिन बहुत से भक्त सालिगराम और तुलसी का विवाह कराते हैं।
घर-घर एकादशी का व्रत होता है। गन्ने का भी पूजन किया जाता है। इस दिन हड़ा-हड़ैया की परंपरा निभाई जाती है। इस दिन भगवान विष्णु का पूजन और ब्राह्मणों को दान आदि किया गया। इससे लक्ष्मी नारायण की कृपा सदैव बनी रहती है। इसके साथ तिलक, विवाह, गोद भराई, गृह प्रवेश और मुंडन जैसे मांगलिक आयोजन आज से ही शुरू हो रहे हैं। कार्तिक शुक्लपक्ष की देवोत्थान (देवउठन) एकादशी तिथि पर चार माह से शयन कर रहे भगवान विष्णु को जगाने के लिए पूजन किया गया। गृहप्रवेश, यज्ञोपवीत, नामकरण, नए प्रतिष्ठान का शुभारंभ जैसे कार्य होने लगेंगे। बतातें चलें कि भगवान विष्णु आषाढ़ शुक्लपक्ष की एकादशी तिथि से शयन पर हैं। इसी कारण शुभ व मांगलिक कार्य बंद हैं।
देवोत्थान एकादशी के अवसर पर पुरोहित घर घर जाकर भगवान विष्णु की पूजा करते हैं जबकि यजमान कई प्रकार के अनाजों का दान करते हैं। देवोत्थान एकादशी पर भगवान विष्णु का पंचामृत से अभिषेक करके विधि-विधान से पूजन किया गया। उन्हें मिष्ठान, सिंघाड़ा, गन्ने का रस अर्पित कर मंगलकामना की। साथ ही कई भक्तों ने भगवान शालिग्राम से तुलसी का विवाह भी सम्पन्न करवाया। तुलसी का शालिग्राम से विवाह कराने वाले भगवान विष्णु की कृपा के पात्र बनते हैं। जिन दंपत्तियों के कन्या नहीं हैं वे तुलसी को कन्यादान करके पुण्य अर्पित किया। मान्यता है कि देवोत्थान एकादशी के दिन भगवान विष्णु की मूर्ति के सामने दीपक अवश्य जलाना चाहिए। भगवान विष्णु के नाम का कीर्तन भी करना चाहिए। भक्तों को निर्जला व्रत रखना चाहिए किसी गरीब और गाय को भोजन अवश्य कराना चाहिए।