आयुर्वेदा फाउंडेशन चेरिटेबल ट्रस्ट और मुस्लिम राष्ट्रीय मंच” का देशव्यापी “राम जन सर्वे”: मुसलमानों ने कहा, जय सिया राम

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मुसलमानों के बीच सबसे बड़ा सर्वे: जन जन कण कण में राम, इस्लाम को बदनाम न करें विघटनकारी शक्तियां

सर्वे में मुसलमानों ने माना, मोदी सरकार ने बढ़ाया दुनिया में मान

नई दिल्ली, डेस्क। राष्ट्रवादी मुस्लिम संगठन मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने गुजरात की एक इंडिपेंडेंट रिसर्च एंड सर्वे कंपनी, “आयुर्वेदा फाउंडेशन चेरिटेबल ट्रस्ट” के माध्यम से देश के मुसलमानों के बीच अब तक का सबसे बड़ा सर्वे कराया। राष्ट्रव्यापी सर्वे को “राम जन सर्वे” का नाम दिया गया। सर्वे का मकसद था यह जानना कि श्री राम/ जय सिया राम / मर्यादा पुरुषोत्तम को लेकर मुस्लिमों की क्या राय है? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार के प्रति देश का मुसलमान क्या राय रखता है? जिस तरह मुसलमानों और इस्लाम की छवि को लेकर बात की जाती है, वह कितनी सही एवं न्यायोचित हैं?

सर्वे में ये बात निकल कर आई कि राम जन जन में हैं कण कण में और नरेंद्र मोदी भारत के सफलतम प्रधानमंत्री हैं जिनकी बात भारत ही नहीं पूरी दुनिया सुनती और मानती है। सर्वे के दौरान अनगिनत मुसलमानों ने खुले दिल से कहा जय श्री राम। सर्वे में एक और बात निकल के आई कि वैसे तथाकथित उलेमा, मौलाना और विपक्षी नेता जो इस्लाम के नाम पर अपनी राजनीतिक रोटियां सेकने का प्रयास कर रहे हैं उनका पूर्णतः बहिष्कार होना चाहिए। सर्वे के विषय में विस्तृत जानकारी मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी शाहिद सईद ने दी।

सर्वे अध्यन दल:
आयुर्वेदा फाउंडेशन चेरिटेबल ट्रस्ट के सर्वे का अध्ययन मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के राष्ट्रीय संयोजक मोहम्मद अफजाल, शाहिद अख्तर, डॉक्टर माजिद तालीकोटी, महिला विंग की प्रमुख शालिनी अली, युवा एवं बौद्धिक प्रकोष्ठ के प्रमुख खुर्शीद रजाका, दिल्ली प्रांत के संयोजक हाजी मोहम्मद साबरीन, सह संयोजक प्रोफेसर इमरान चौधरी, गो सेवा, सेवा और पर्यावरण प्रकोष्ठ के संयोजक फैज खान, भारत फर्स्ट के संयोजक शिराज कुरैशी, इंदुस्तान फर्स्ट हिंदुस्तानी बेस्ट के संयोजक बिलाल उर रहमान एवं अन्य वरिष्ठों की टीम ने किया।

सर्वे की जरूरत क्यों:
सर्वे की क्यों जरूरत इसलिए हुई क्योंकि भारत आज एक ऐसे मोड़ पर खड़ा है जहां एक लकीर खींचती हुई साफ दिखती है। और वो है हिंदू मुस्लिम में मेल, मिलाप, मिल्लत, मोहब्बत, एकता, अखंडता, एकरसता, समता, समानता और सौहार्द सदा बनाने वाली ताकत जो राम को आस्था का प्रतीक मानते हुए जन सेवा में लगी है। जो भय मुक्त, भष्टाचार मुक्त, छुआ छूत मुक्त, दंगा मुक्त, दहशत मुक्त, गरीबी मुक्त, लव जिहाद मुक्त और धर्मांतरण मुक्त देश चाहता है।

दूसरी तरफ देश में कुछ ऐसी विध्वंसक और विघटनकारी सोच के लोग हैं जो मुहब्बत के बदले में नफरत फैलाने में लगे हैं। इनके चेहरे कभी मौलाना मदनी के रूप में कभी ओवैसी के रूप में तो कभी बदरुद्दीन अजमल के रूप में तो कभी अखिलेश यादव के रूप में तो कभी, लालू यादव के रूप में तो कभी कांग्रेसी नेताओं के रूप में तो कभी कांग्रेस की कोख से निकली एनसीपी नेताओं के रूप में दिख जाएंगी।

हैरतंगेज बात:
अश्चर्चजनक बात यह है कि ये दूसरा तबका 30 करोड़ मुसलमानों के नाम पर राजनीतिक रोटियां सेक कर दिन रात इस्लाम को बदनाम करने में लगा है। देश की इतनी बड़ी आबादी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी और संघ के नाम पर लगातार डराया जाता रहा है। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि खुद मुसलमान क्या चाहता है? क्या मुसलमान पूरी दुनिया के सामने ऐसी ही इमेज रखना चाहता है जिससे इस्लाम दागदार और गुनहगार दिखे? या मुसलमान संघ और बीजेपी को छुआ छूत की नजर से देखता है? क्या वाकई विपक्षी दल मुसलमानों के सच्चे हितैषी हैं? ऐसे में “राम जन सर्वे” न सिर्फ राष्ट्र हित में किया गया सर्वे है बल्कि दुनिया के विशिष्ठ धर्म जो सच्चाई, इंसानियत और मुहब्बत का पैग़ाम देता है उसकी पाकीज़गी के लिए भी यह सर्वे किया गया। सर्वे के माध्यम से यह जानना भी जरूरी था कि क्या संघ, बीजेपी और बीजेपी सरकारें (केंद्र एवं राज्य) मुस्लिम विरोधी हैं?

सैंपल साइज:
आयुर्वेदा फाउंडेशन चेरिटेबल ट्रस्ट ने सर्वे के लिए दिल्ली एनसीआर, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ, गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा, बेगलुरु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, असम और नॉर्थ ईस्ट राज्यों में 10,000 लोगों के बीच सर्वे किया। सर्वे में 74 प्रतिशत मुस्लिमों ने खुल कर अपनी राय राम मंदिर और 72 प्रतिशत मुसामानों ने मोदी सरकार के पक्ष में दी। 26 फीसदी मुसलमानों ने मोदी सरकार पर अविश्वास जताया और धार्मिक कट्टरता की बात की। इन लोगों ने यह तो माना कि राम आस्था का सवाल है लेकिन वे कभी राम मंदिर जायेंगे ऐसा उनका कोई विचार नहीं है और न ही मोदी सरकार पर वो विश्वास करते हैं। सर्वे के मुताबिक जो मुख्य बात निकल के आई वो इस प्रकार है: —–

क्या है देश के मुसलमानों की राय?
1- 74% मुसलमान मंदिर निर्माण से खुश
2- 70% मुसलमानों को मोदी सरकार पर भरोसा
3- 72% मुसलमानों ने माना, विपक्ष के पास मुद्दा नहीं
4- 70% मुसलमानों को लगता है, भारत विश्व शक्ति बनकर उभरा

मुसलमानों ने माना, मोदी ने देश बदला
1- मोदी राज में मुसलमान ज़्यादा सुरक्षित
2- मोदी सरकार में सबको विकास के समान अवसर
3- पीएम मोदी की वजह से बीजेपी पर भरोसा बढ़ा
4- मुसलमानों को मोदी-बीजेपी से परहेज नहीं

अयोध्या में मंदिर निर्माण, मुसलमान बोले ‘जय श्री राम’
1- अयोध्या में राम मंदिर हिंदुओं की आस्था का केंद्र
2- बहुसंख्यक आबादी की आस्था का सम्मान होना चाहिए
3- मंदिर निर्माण से हिंदू-मुसलमान के बीच दूरियां कम होंगी
4- अदालत के फैसले से लोकतंत्र मजबूत हुआ

सर्वे का निष्कर्ष:
देश के मुसलमानों का मानना है कि मोदी सरकार ने राम मंदिर निर्माण से लेकर धारा 370, 35A हटाने, गो सेवा पर प्रतिबंध से लेकर तीन तलाक पर कानून बनाने तक अनगिनत बेहतरीन काम किया है। सर्वे में खुल के भी यह बात आई की मुसलमानों को जनधन योजना से लेकर इज्जत घर अर्थात शौचालय निर्माण, उज्जवला योजना, मुफ्त राशन से लेकर प्रधानमंत्री आवास योजना तक का लाभ मिला है। देश का आम मुसलमान, बुद्धिजीवी, उलेमाओं और मौलाना मानते है कि वर्षों से खामखाह आरएसएस और बीजेपी के नाम पर डराया धमकाया गया।

उन्होंने कहा कि मुसलमानों को आगे बढ़कर बीजेपी और मोदी सरकार पर भरोसे कायम करने के लिए एक ऐतिहासिक मुहिम चलानी चाहिए। मुसलमानों ने यह भी माना के उनके बीच आरएसएस और बीजेपी के खिलाफ राजनीतिक पार्टियों ने जो नकारात्मकता फैलाई थी, उसे इंद्रेश कुमार के नेतृत्व में मुस्लिम राष्ट्रीय मंच की मुहिम और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के भाषणों, बरतावों व व्यवहारों तथा मोदी सरकार के कार्यों ने धराशाई कर दिया है।

देश का मुसलमान मानता है कि राम सबके हैं और हर कोई राम का है। इसलिए वैसी विघटनकारी शक्तियां जो राम के नाम पर देश का माहौल खराब करना चाह रही हैं उन्हें मुंहतोड़ जवाब देना जरूरी है। मुसलमानों ने इस बात को भी खुले दिल से कहा कि इस्लाम में वैसी मस्जिद में इबादत हराम है जो दूसरे धर्म के पवित्र स्थल को तोड़ कर बनाई गई हो। उन्होंने कहा कि बाबरी मस्जिद राम लला के मंदिर को तोड़ कर बनाई गई थी जो एक नापाक और गुनाह भरा कदम था।

लेकिन अनेकों वर्षों से चली आरही लड़ाई को खत्म कर सुप्रीम कोर्ट ने सभी के साथ न्याय किया है और मोदी सरकार ने राम लला का मंदिर बना के प्राण प्रतिष्ठा की जो तैयारी की है वो स्वागत योग्य है। राम लला के विराजमान होने को देश एक उत्सव की तरह सदैव मनाएगा और इसमें मुस्लिम समुदाय भी बढ़ चढ़ कर शिरकत करेंगे। सर्वे में एक बड़े तबके का मानना था कि देश में कट्टरता पूरी तरह समाप्त होनी चाहिए।

देश अमन चैन और सकून के साथ विकास व विश्वास के साथ चलना चाहिए। मुसलमानों ने माना मोदी राज में वे सबसे अधिक सुरक्षित हैं और मोदी के कारण उनका बीजेपी में विश्वास बढ़ा है। मुसलमानों ने माना कि मंदिर पर अदालत के फैसले से लोकतंत्र मजबूत हुआ है। मुसलमानों ने यह भी माना कि विपक्ष मुद्दाविहीन है।

क्या बोले मुसलमान:
गुलाबी नगरी जयपुर की रहने वाली रेलवे बोर्ड की पूर्व सदस्या रेशमा हुसैन का मानना है कि राम मंदिर गर्व गर्व का विषय है और देश के मुस्लिम भाइयों को इसे स्वीकारते हुए मोहब्बत बनाए रखनी चाहिए। टौंक के रहने वाले राजस्थान मदरसा बोर्ड के पूर्व चेयरमैन अबु बकर नकवी का मानना है 140 करोड़ सनातनी भाइयों के लिए जो आस्था का केंद्र राम मंदिर राष्ट्र मंदिर के रूप में बना है उसका सभी देशवासियों को सम्मान करना चाहिए। चित्तौड़गढ़ के व्यापारी आबिद शेख का कहना है कि वैसे लोग जो देश का माहौल खराब करने की कोशिश कर रहे हैं उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।

पटना राजा बाजार के रहने वाले नौशाद आलम ने बताया कि राम मंदिर निर्माण से वर्षों का हिंदू मुस्लिम झगड़ा समाप्त हो गया। सिवान हुसैनगंज के रहने वाले मो० अबरार उर्फ पप्पू ने कहा की कोर्ट के फैसले का सम्मान होना चाहिए इससे लोकतंत्र मजबूत होगा। कटिहार के जोली साहब ने कहा कि राम मंदिर के निर्माण से मुसलमान को कोई हानि नहीं है।

पूर्णिया दुल्हन बाजार के मोहम्मद दानिश ने कहा कि राम मंदिर के निर्माण से भारत की राजनीतिक पार्टी का ज्वलंत मुद्दा समाप्त हो गया। बेगूसराय बरौनी के साहिल अंसारी ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को राम मंदिर निर्माण के लिए बधाई दिया। किशनगंज बंदर झूला के दिलशाद ने कहा मस्जिद को विवाद वाली जगह नहीं होना चाहिए इसका विवाद समाप्त होना हिंदुस्तान के लिए एक अच्छी बात है।

नईम शेख जोधपुर से, इरशाद चैन वाला उदयपुर से, इरशाद खान कोटा से, समीर खान चूरू से, दादू खान श्रीगंगानगर से मोहम्मद हनीफ उर्फ अन्नू जयपुर से मोइन खान अजमेर से अयूब कायमखानी बीकानेर से अयूब रंगरेज भीलवाड़ा से मोहम्मद रईस सवाई माधोपुर से अनीस अहमद झुंझुनू से मोहम्मद शफी अलवर से अबरार अहमद दोसा से मेराज खान चाकसू से मोहम्मद हबीब आबू रोड सिरोही से जहांगीर खान नागौर से, आसिफ़ अली जोधुर से और नसीम बानो झुंझुनूं से और डॉक्टर मनोहर चौधरी ने लगभग एक जैसे ही विचार रखते हुए बताया कि अयोध्या में राम मंदिर अटूट आस्था का विषय है। एक ऐसी आस्था जिसे श्रद्धालु सदियों तक कायम रखते रहे, तब भी जब मंदिर खड़ा नहीं था। आज राम मंदिर का भव्य निर्माण हो रहा है और इसमें प्राण प्रतिष्ठा होने वाली है।

रांची बरियातू के रहने वाले मोहम्मद अमन ने राम मंदिर निर्माण के लिए कहा कि इसमें मुसलमान को कोई एतराज नहीं होना चाहिए क्योंकि उन्हें भी 5 एकड़ जमीन मस्जिद के लिए मिली है। जमशेदपुर आजाद नगर के रहने वाले मोहम्मद लड्डन ने कहा की भारत में कई ऐसी मस्जिद है जो वीरान पड़ी है मुसलमान को अन मस्जिदों को आबाद करने के लिए सोचना चाहिए।

साहिबगंज जीरुआ बड़ी के मोहम्मद लड्डू ने कहा कि मुसलमान को राम मंदिर से ऐतराज नहीं होना चाहिए क्योंकि यह कोर्ट का फैसला है और भारत में न्यायपालिका सर्वोच्च संस्थान है। गोंडा नहर चौक की रहने वाली नूरी खातून का कहना है की राम मंदिर के निर्माण से मुसलमान को कोई नुकसान नहीं है, हमें अपनी तालीम तंजीम और तरक्की के बारे में सोचना चाहिए।

लखनऊ हजरतगंज से व्यापारी ठाकुर राजा रईस, मौलाना नोमान खान मदरसा जामिया इस्लामिया हेरा पब्लिक स्कूल सीतापुर, शेर अली खान गोला गोकर्णनाथ कुकरा गांव के, उस्मान गनी बड़ा चौराहा कानपुर, जमशेद खान नेशनल स्कूल धनतीया बरेली, सलमान यूसुफ मुरादाबाद, कमाल खान अख्तर हाफिज मदरसा फरुकिया उन्नाव, वसीम खान मदरसा अरबिया गोरखपुर, आसिफा खातून टीचर देवरिया, रहनुमा बानो कन्नौज मदरसा टीचर, सन्नो खान कानपुर समाज सुधारक, आरिफ खान एडवोकेट उन्नाव, गुलजार बेगम एनजीओ फाउंडर बाराबंकी, सनी अब्बास हुसैनी ट्रस्ट लखनऊ और राजदा समाजसुधारक झांसी का मानना है कि मर्यादा पुरुषोत्तम राम जन जन में हैं कण कण में हैं। राम मंदिर का निर्माण एक अनथक संघर्ष का प्रतीक है और कोई भी विघटनकारी आवाज या ताकत सामने आती है उसे देश के माहौल बिगाड़ने और आस्था के रंग में ज़हर घोलने के जुर्म में कठोरतम सजा होनी चाहिए।

कटनी से शामिम बानो, गोरखपुर से नसीम खान, दिल्ली पहाड़गंज से एडवोकेट नुसरत जहान, दिल्ली की कश्मीरी गेट से आमादा बेगम, जामिया की प्रोफेसर शादाब तबस्सुम, नागपुर से आरफा रिजवान, पुणे से अजरा हुसैन, सिकंदराबाद से रूबी बानो, दिलसुखनगर हैदराबाद से तसनीम हैदर, कोलकाता से साजिदा बेगम, गुवाहाटी से असदुल्लाह खान, रायपुर से मोहनीश बेगम, बस्तर से तारिक अली, श्रीनगर से खुर्शीद खान, तारिक रियाज, नवी मुंबई से काजी रेहान, अफशान खातून, मुंबई भिंडीबाजार से मोहम्मद हनीफ, देहरादून से अतीक अहमद, हरिद्वार से मंसूर आलम, मैसूर से साजिद खान, हैदराबाद से अखलाक उस्मानी, भोपाल से साबिर अली, इंदौर से परवेज खान, ग्वालियर से एसके मुद्दों का मानना है कि संघ और सरकार के खिलाफ विपक्षी पार्टियां वर्षों से मुसलमानों को डराने धमकाने की कोशिश कर रही हैं जबकि वास्तविकता यह है कि पिछले लगभग दस वर्षों से केंद्र सरकार ने दिखाया है कि यह मात्र जानता की सरकार है जिसके लिए विकास सर्वोपरि है और मोदी एक ऐसी गारंटी का नाम है जो देश की कामयाबी और तरक्की का दूसरा नाम है।

उत्तर प्रदेश उत्तराखंड और छत्तीसगढ़ के चंद मौलानाओं और उलेमाओं की राय:

काशीपुर के मुफ्ती सुलेमान: कुछ शरारती तत्वों द्वारा मुस्लिम समाज में राम मंदिर निर्माण को लेकर असंतोष की झूठी अफवाह फैलाई जा रही हैं जो बिल्कुल निराधार है। मुस्लिम समुदाय राग मंदिर निर्माण का समर्थन करता है।

बिलासपुर के मौलाना अफरोज: भारत सदा से गंगा-जमुनी तहजीब का गहवारा रहा है और मुस्लिम समाज न्यायपालिका का पूरा सम्मान करता है. अतः राम मंदिर के विरोध का कोई मतलब नहीं।

रुद्रपुर के मौलाना मुकर्रम: मुस्लमान कौम भाईचारे को बढ़ावा देती है। अतः मुस्लिम समुदाय में राम मंदिर निर्माण की लेकर कोई असंतोष नहीं है।

हल्द्वानी के मुफ्ती रजा: मुस्लिम समुदाय न्यायपालिका के निर्णय के साथ है तथा राम मंदिर निर्माण से हमें कोई आपत्ति नहीं है।

रामपुर के मौलाना मुजाहिद: किसी भी विवादित भूमि पर इस्लाम में इबादत जायज नहीं है। अतः मुसलमान राम मंदिर निर्माण के खिलाफ़ नहीं है।

देहरादून के मौलाना इब्ने अली: राम मंदिर निर्माण को लेकर कोई द्वंद नहीं है।

जमरोहा के मुफ्ती मुज्जुमिल: मुसलमान “भाई-चारे को बढ़ावा देता है और अमनपसंद है, हम राम मंदिर निर्माण के खिलाफ नहीं हैं।