Pulin Tripathi: दिल्ली में मंदिर को तोड़ने की अनुमति का विवाद और गहराता जा रहा है। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने उपराज्यपाल वीके सक्सेना के खिलाफ एक बार फिर हमला बोला है। उन्होंने आरोप लगाया कि दिल्ली के एलजी के यहां के मंदिरों को तोड़ना बहुत जरूरी हो गया है। उन्हें राजनीति छोड़ दिल्ली के हित के बारे में सोचना चाहिए। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री ने उपराज्यपाल (एलजी) के खिलाफ एक बार फिर हमला तेज कर दिया है। उन्होंने कहा कि एलजी के दिल्ली के मंदिरों को तोड़ना बहुत जरूरी हो गया है। उन्हें ओछी राजनीति छोड़कर दिल्ली के हित के बारे में सोचना चाहिए।
बीते रविवार को दिल्ली में धार्मिक ढांचों को गिराने को लेकर एलजी के प्रयास पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए मनीश सिसोदिया ने कहा कि हाल ही में एलजी ने धार्मिक ढांचों को गिरने से संबंधित फाइलों को तलब करके ओछी राजनीती शुरू कर दी है। गौरतलब है कि पूरी दिल्ली के कई धार्मिक ढांचों को गिराने संबंधित फाइल को उपराज्यपाल ने तलब किया था। यह मामला दशकों से कई बड़े मंदिरों को गिराने को लेकर चल रहा है। इस प्रकरण में मनीष सिसोदिया ने कहा कि बना उचित मूल्यांकन के एगर एलजी ने कोई भी फैसला लिया तो इससे समाज में गंभीर संकट पैदा हो सकता है।
उप मुख्यमंत्री ने यह भी सवाल दागा कि एलजी के लिए क्या जरूरी है वह स्पष्ट करें। एक ओर दिल्ली के स्कूली टीचरों को फिनलैंड भेजकर शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के मामले में वह कोई फैसला नहीं लेते। मामले से संबंधित फाइल उनके पास कई महीनों से लंबित है। सरकारी स्कूलों में तकरीबन 244 पदों पर प्रधानाध्यापकों की नियुक्ति होनी है। उस पर एलजी को विचार करने में इतना समय लग रहा है। जबकि यह पद पिछले पांच साल से खाली हैं। यह एक मजाक नहीं तो और क्या है? एलजी खुद को दिल्ली का स्थानीय अभिभावक कहते हैं। जबकि प्रधानाध्यापकों के अलावा डीईआरसी चेयरमैन और कानूनी सलाहकारों की नियुक्ति भी लंबी समय से टलती चली आ रही है।