Kanpur, Beforeprint: कांग्रेस पार्टी चार सितंबर को हल्ला बोल रैली का आयोजन करने जा रही है। रैली दिल्ली में होनी है। हर वार्ड और ब्लॉक से पदाधिकारियों की उपस्थिति जरूरी है। इसके तैयारी के लिए बाकायदा मीटिंग बुलाई गई। पर बड़ी खामोशी से यह मीटिंग खत्म हो गई। वजह यह कि न कोई आया न गया। अब सवाल यह उठता है कि कानपुर और आसपास के छह जिलों से 25 हजार लोग जो तय किए गए हैं उनमें से दिल्ली कितने पहुंचेंगे।
वजह कानपुर की दस विधानसभाओ के प्रत्याशियों में से सिर्फ तीन बैठक में भाग लेने पहुंचे। जिनमें से महाराजपुर विधानसभा से प्रत्याशी कनिष्क पांडेय, कल्याणपुर विधानसभा की प्रत्याशी नेहा तिवारी और कैंट के प्रत्याशी सोहेल अंसारी ही पहुंचे।
दक्षिण जिले की हालत तो और भी खराब रही। यहां से भाग लेने कोई भी प्रत्याशी नहीं आया। मात्र सात लोग पहुंचे। जिनमें से एक खुद कार्यकारी अध्यक्ष थे। जबकि कानपुर दक्षिण में दो विधानसभाएं लगती हैं । जिनमें 17-17 वार्ड भी आते हैं। मगर विधानसभा चुनाव के बाद से किदवई नगर के प्रत्याशी अजय कपूर और गोविंद नगर की प्रत्याशी करिश्मा ठाकुर नदारद हैं । बैठक में पहुंचने वालों में सिर्फ प्रदेश सचिव विकास अवस्थी और जेपी पाल ही थे। इसके अलावा टिल्लू ठाकुर, संजीव मिश्रा, महेश दीक्षित लकी सेनुअल और राजकुमार शुक्ला दिखाई दिए।
कभी कानपुर को कांग्रेस का गढ़ माना जाता था। इस बार गढ़ ध्वस्त हुआ तो भी चुनाव में बुरी तरह पराजित होने के बाद भी स्थानी नेता बिल्कुल भी गंभीर नहीं हुए हैं। आपसी मनमुटाव और सामंजस्य की कमी से पार्टी हर दिन कमजोर होती जा रही है।
इसका उदाहरण सोमवार की बैठक में उस वक्त देखने को मिला जब कानपुर बुंदेलखंड के प्रभारी नीलांशु चतुर्वेदी के सामने उत्तर जिले के अध्यक्ष नौशाद आलम मंसूरी और पूर्व अध्यक्ष हर प्रकाश अग्निहोत्री एक दूसरे पर ही आरोप लगाने से बाज नहीं आए।