कानपुर/भूपेंद्र सिंह। उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन (यूपीसीए) पर कई गंभीर आरोप लगाकर मुख्यमंत्री से शिकायत की गई थी जिसका अभी तक हल निकलता नही दिखायी दे रहा है। उत्तर प्रदेश का क्रिकेट संध अभी भी अपने मनमाने व हठधर्मी रवैये से ही उसको संचालित कर रहा है। पिछले साल अक्टूबर में पत्र भेजने वाले पूर्व जिला शासकीय अधिवक्ता ने यूपीसीए पर रुपयों के गबन और प्रदेश में क्रिकेट के साथ हो रहे खेल की बात कही है। शिकायत पर मुख्यमंत्री के विशेष सचिव की ओर से अपर मुख्य सचिव खेल से आवश्यक कार्यवाही की अपेक्षा की है।
कानपुर निवासी शिकायतकर्ता धर्मेद्र बहादुर सिंह यूपीसीए से जुड़े राजीव शुक्ल और अकरम सैफी पर जेके समूह द्वारा क्रिकेट के विकास के लिए दिए गए 350 करोड़ रुपयों के गबन का आरोप लगाया। पत्र में उन्होंने यूपीसीए के तमाम पदाधिकारियों पर आरोप लगाया था कि प्रदेश की टीम में स्थान पाने के लिए क्रिकेटरों को प्रताडित किया जा रहा है। उन्होंने खिलाडियों के पंजीयन के नाम पर 500 रुपये वसूली का आरोप भी लगाया था।यही नही उन्होंने टीम में चयनित करवाने के लिए खिलाडियों से पैसों की मांग करने वाले चयनकर्ताओं की भी बात अपने शिकायती पत्र में कही थी।
उन्होंने उल्लेख किया है कि इस प्रकरण में 65 करोड़ रुपये के गबन में रजिस्ट्रार आफ कंपनीज ने कानूनी कार्यवाही की है। वहीं, लोढ़ा समिति की सिफारिशों के बावजूद सोसाइटी को फर्जी तरीके से कंपनी में बदलकर खिलाडियों को सदस्य बनाना और गाजियाबाद में स्टेडियम में हुए कटोड़ों के गबन और जीएसटी गड़बड़ी का जिक्र किया। पत्र में उन्होंने स्टेडियम की जमीन को बेचने की साजिश का भी आरोप लगाया है। उन्होंने मेरठ कालेज में प्रधानाचार्य युद्धवीर सिंह के यूपीसीए में निदेशक बनने पर भी सवाल खड़ा कर उनकी विश्वविद्यालय से निष्कासित करने की भी मांग की थी।
प्रदेश सरकार की ओर से अभी तक इस मामले में सही दिशा में कदम नही उठाए गए है जिससे संघ में निर्णय खिलाडियों के हित में न होकर संघ के पदाधिकारियों के लाभ के लिए ज्यादा हो रहे है।
वर्जन-यूपीसीए के खिलाफ प्रदेश के मुख्यमन्त्री से शिकायत तो की जा चुकी है लेकिन अभी तक कोई हल नही निकला। अगर समय रहते हल नही निकला तो फिर से शिकायत दर्ज करायी जाएगी और यूपीसीए में चल रही अनियमितताओं को रुकवाना होगा। राजेश गुप्ता –अधिवक्ता-कानपुर ।
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