नई दिल्ली/गुजरात, पुलिन त्रिपाठी। अजीब विभीषका है। एक ओर प्रधानमंत्री लाल किले की प्राचीर से महिलाओं के सम्मान का पाठ पढ़ाते हैं। दूसरी ओर बीजेपी के शासन वाली गुजरात सरकार बिलकिस बानो रेप केस के अपराधियों को ऐन 15 अगस्त के दिन आजाद कर देती है। वह भी सिर्फ 14 साल की सजा के बाद। जबकि कोर्ट के मुताबिक वह आजीवन कारावास के हकदार थे।
अभी कल की ही बात है। हमारे स्वतंत्रता दिवस समारोह की। लाल किले से पीएम का घोष होता है कि नारी का हर हाल में सम्मान होना चाहिए। पीएम मोदी ने लोगों से अपील करते हुए कहा हम स्वभाव से, संस्कार से, रोजमर्रा की जिंदगी में नारी को अपमानित करने वाली हर बात से मुक्ति का संकल्प लेते हैं। नारी का गौरव राष्ट्र के सपने पूरे करने में बहुत बड़ी पूंजी बनने वाला है।
मगर गुजरात में तो वहां की सरकार अलग ही गुल खिला रही थी। 2002 के गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस बानो से गैंगरेप और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के अपराध में उम्रकैद की सजा काट रहे सभी 11 दोषियों को गुजरात सरकार ने रिहा कर दिया।
वह भी तब जब आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में केंद्र सरकार ने इसी वर्ष जून में दोषी कैदियों की एक विशेष रिहाई नीति का प्रस्ताव करते हुए राज्यों के लिए गाइडलाइंस जारी की थीं। रेप के दोषी उस सूची में शामिल थे जिन्हें इस नीति के तहत विशेष रिहाई नहीं दी जानी है। फिर भी गुजरात की भूपेंद्र भाई पटेल की सरकार ने अपनी ही गाइड लाइन चला दी। क्योंकि गृह मंत्रालय की वेबसाइट पर केंद्र की विशेष नीति में एक बिंदु में साफ कहा गया है कि आजीवन कारावास की सजा वाले किसी भी शख्स को रिहा नहीं किया जाएगा।
आपको बता दें कि तीन मार्च 2002 को गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के दौरान दाहोद जिले के लिमखेड़ा तालुका के रंधिकपुर गांव में भीड़ ने बिलकिस बानो के परिवार पर हमला कर दिया था। बिलकिस तब 21 वर्ष की थीं और पांच महीने की गर्भवती थीं। उनके साथ गैंगरेप किया गया था। इतना ही नहीं, उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या कर दी गई थी।
मामले में आरोपियों को 2004 में गिरफ्तार किया गया। आरोप सिद्ध होने के बाद यह अपराधी जेल काट रहे थे कि गुजरात सरकार ने अपनी माफी नीति के तहत इन लोगों की रिहाई की मंजूरी दी। जबकि मुंबई में सीबीआई की एक विशेष अदालत ने 11 दोषियों को बिलकिस बानो के साथ गैंगरेप और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या करने के जुर्म में 21 जनवरी 2008 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। बाद में बंबई हाईकोर्ट ने उनकी दोषसिद्धि को बरकरार रखा था।