स्टेट डेस्क: भले बिहार के CM नीतीश कुमार ने अपनेआप को राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी से अलग रखा हो। लेकिन, इस बात की चर्चा तब शुरू हुई जब दिल्ली में CM नीतीश कुमार की मुलाकात राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर से मुलाकात हुई।
CM ने इस बात की पुष्टि भी की कि वो PK से मिले हैं और उनका पुराना रिश्ता है। इसके बाद से इस बात की चर्चा शुरू हो गई कि नीतीश कुमार विपक्ष के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार होंगे।
ये खबर मीडिया में आई, JDU ने इसका खंडन किया। यहां तक की CM नीतीश कुमार ने भी इसका खंडन किया। लेकिन, क्या वजह है कि PK से मुलाकात के बाद इस बात की चर्चा हो रही है। क्या PK की देश की राजनीति में इतना बड़ा हस्तक्षेप है कि वो नीतीश कुमार को देश के सर्वोच्च पद पर बिठा सकते हैं। किसी भी पार्टी के साथ PK का नाम जुड़ना जीत की गांरटी क्यों मानी जाती है?